नई दिल्लीः एपल ने हाल ही में आईफोन की बैटरी और स्लो स्पीड को लेकर सामने आई रिपोर्ट की पुष्टि की है. इस रिपोर्ट में दावा था कि एपल खुद ही अपने पुराने आईफोन के मॉडल्स को स्लो कर देता है. एपल ने माना है कि वह खुद आईफोन के प्रोसेसिंग को धीमा कर देता है जिससे आईफोन स्लो हो जाते हैं.


बुधवार को एपल ने कहा कि ''हां कंपनी प्रोसेसर की ओर से पावर की मांग को देखते ऐसा करता है. इससे आईफोन का प्रोसेसर स्लो हो जाता है. जब प्रोसेसर बैटरी से ज्यादा पावर की स्प्लाई चाहता है और बैटरी उनती पावर नहीं दे पाती है.''


ना सिर्फ एपल प्रोडक्ट बल्कि जिन डिवाइस में लिथियम इयॉन की बैटरी का इस्तेमाल होता है उनमें ये परेशानी होती है. पुरानी बैटरी 100 फीसदी तक पावर सप्लाई नहीं कर पातीं. इसके साथ ही अगर फोन की बैटरी पुरी तरह चार्ज नहीं होती है तो यह डिमांड पावर प्रोसेसर को नहीं दे पाती है.


एपल ने रॉयटर्स से कहा कि पिछले साल हमने आईफोन 6 और आईफोन 6s के लिए अचानक बंद होने की परेशानी को देखते हुए एक फीचर रिलीज किया था. इस अपटेड की मदद से प्रोसेसर की पावर डिमांड को कम किया गया ताकि फोन अचानक बंद ना हों. अब हम आईफोन 7 के लिए iOS 11.2 अपडेट में इस फीचर को दिया है.


आईफोन का प्रोसेसर पुरानी बैटरी से ज्यादा पावर की स्प्लाई मांगता है तो बैटरी इस पावर डिमांड को पूरा नहीं कर पाती. इसकी वजह से डिवाइस के बाकी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट डैमेज हो सकते हैं. ऐसा ना हो इसलिए आईफोन अचानक बंद हो जाता है जिससे बाकी इलेक्ट्रॉनिक्स डैमेज नहीं होते.


सोमवार को एक एप बनाने वाली कंपनी Primate Labs ने रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक iPhone 6s और iPhone 7 मॉडल के स्लो होने के पीछे कंपनी का हाथ था. इसमें कहा गया था कि कंपनी ही पुराने आईफोन
की स्पीड स्लो होने के लिए जिम्मेदार है.