नई दिल्लीः भारतीय बाजार में मोबाइल हैंडसेट मुहैया कराने वाली चार बड़ी कंपनियों एप्पल, सैमसंग, ओपो और सैमसंग ने अपने उत्पादों की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है. वहीं विवो और लेनेवो समेत 12 कंपनियो ने सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दे दी है.


चीन से तकनीकी खतरे की आशंका के मद्देनजर बीते दिनों सरकार ने भारतीय बाजारों में स्मार्टफोन मुहैया कराने वाली 21 कंपनियों से हैंडसेट के सुरक्षा उपायों का पूरा ब्यौरा मांगा था. इसके जवाब में जिन कंपनियों ने जानकारी मुहैया करायी है उनमें एचटीसी, श्योमी, कोमियो, विवो, लेनेवो, एचएमडी, एमटेक, इंटेक्स, वन प्लस, ह्यूवै, हॉनर और इन फोकस शामिल हैं. कंपनियों के लिए जानकारी 28 अगस्त यानी सोमवार तक देनी थी.

फिलहाल, अभी ये पता नहीं कि कंपनियों ने अपने जवाब में क्या जानकारी दी है. ये जानकारी लेने के पीछे सरकार की सोच ये है कि हर हिंदुस्तानी का डाटा सुरक्षित रहे. अममून, भारतीय बाजारों में बिकने वाले हर दो मोबाइल हैंडसेट में एक चीनी ब्रांड होता है. सरकार को आशंका है कि स्मार्टफोन में उपलब्ध ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी चोरी की जा रही है और इसे किसी तीसरे देश के सर्वर पर भेजा जा रहा है. मसलन, ग्राहक के हैंडसेट से कॉटैंक्ट लिस्ट और यहां तक के टेक्स्ट मैसेज भी तीसरे देश में स्थित सर्वर पर भेज दिया जा रहा है. इस तरह की कई खबरें आने के बाद सूचना तकनीक मंत्रालय ने सख्ती का कदम उठाने का फैसला किया और नोटिस जारी किया. ये वो कंपनियां है जो भारत में या तो सीधे-सीधे फोन बनाती हैं, बाहर से कल-पूर्जे लाकर असेंबल करती हैं या फिर आयात कर बाजारों में बेचती है.

अब सरकार मोबाइळ कंपनियों की ओर से मुहैया करायी गयी जानकारियों की पड़ताल करेगी और किसी तरह की कमी रहने की सुरत में कार्रवाई की जा सकती है. “कार्रवाई के तहत असीमित जुर्माना भी शामिल है,” एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने जानकारी दी. ध्यान रहे कि यहां पर हैंडसेट की सुरक्षा व्यवस्था से मतलब, निर्माण के समय शामिल किए गए तंत्र शामिल हैं. ग्राहकों की ओर से डाउनलोड किए गए एप वगैरह की सुरक्षा व्यवस्था मांगी गयी जानकारी में शामिल नहीं.

वैसे तो अधिकारी कहते हैं कि नए आदेश में भारतीय बाजार में किसी भी कानूनी तरीके से हैंडसेट मुहैया कराने वालों को शामिल किया गया है, लेकिन वो इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि निशाने पर चीनी ब्रांड ही हैं, क्योंकि बाजार के आधे से भी ज्यादा हिस्से पर उन्ही का कब्जा है. वैसे ध्यान रहे कि 27-28 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कोरियाई कंपनी सैमसेंग सबसे आगे हैं.

सरकार की एक परेशानी ये है कि चीन से सस्ता आयात लगातार बढ़ रहा है और कई मामलो में इनमें सुरक्षा व्यवस्था की खामी भी दिखने को मिलती है. यही वजह है कि इन मोबाइल हैंडसेट को बड़े पैमाने पर असंगठित बाजार में खपाया जाता है. ध्यान रहे कि देश में औसतन 20-22 करोड़ मोबाइल हैंडसेट बिकते हैं जिनकी अनुमानित कीमत करीब 90 हजार करोड़ रुपये हैं. वैसे देश में मोबाइल कनेक्शन की गिनती 100 करोड़ को भी पार कर चुकी है जिसमें 35-40 फीसदी स्मार्टफोन है जबकि बाकी आम सुविधाओं वाले फीचर फोन के नाम है.

31 अगस्त तक करा लें आधार-पैन को लिंक, नहीं बढ़ेगी आखिरी तारीख: UIDAI


KBC में इस बार कार भी जीतें: डैटसन इंडिया दे रही है मौका


विदेशी एयरलाइंस के हवाले नही होंगे ‘महाराजा’