नई दिल्ली: हाल ही में ऑटोमेटेड टेलर मशीन यानी की ATM इंडस्ट्री की मानें तो साल 2019 तक 50 प्रतिशत एटीएम को बंद कर दिया जाएगा. कारण है एटीएम ऑपरेटिंग लागत जो दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है. इसे देखते हुए अब एटीएम इंडस्ट्री के लिए स्थिरता बनाना काफी मुश्किल हो रहा है. एटीएम और एलाइड सर्विस की मैनेजिंग डायरेक्टर रामा दोराई ने कहा कि, भारत में अगर एटीएम की बात करें तो दूसरे देशों के लिए मुकाबले इसका आंकड़ा अभी भी काफी कम है. जिसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि अगर 2019 में ऐसा हुआ तो लोगों को नोटबंदी से भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. उन्होंने आगे कहा कि अगर भारत में इस सर्विस को जिंदा रखना है तो लागत को थोड़ा कम करना होगा तो वहीं कांट्रैक्ट और लाइसेंस पर भी ध्यान देना होगा.
आखिर कैसे काम करते हैं ATM? और लागत में कैसे हो रही है बढ़ोतरी
एटीएम आमतौर पर तीन तरह से काम करते हैं.
1. बैंक अपना एटीएम खुद ऑपरेट करता है तो वहीं उसकी देखभाल भी वो खुद ही करता है.
2. बैंक दूसरी कंपनियों को एटीएम लगाने और उसे चलाने का ठेका देती है.
3. कुछ कंपनियों को एटीएम लगाने का लाइसेंस दिया गया है.
तीसरे मॉडल पर खतरा है क्योंकि इसका इस्तेमाल अब काफी कम किया जा रहा है. मान लीजिए कि कैश वैन में अलग अलग कॉन्फ़िगरेशन और सिक्योंरिटी पैरामीटर हैं जो समय के साथ महंगे होते चले जाएंगे. एक प्राइवेट बैंक अधिकारी ने कहा कि, ' एटीएम में अलग अलग संज्ञा के 4 कैसेट मौजूद होते हैं. एवरेज इस्तेमाल पर कैश लोड किया जाता है. अब आरबीआई चाहता है कि एटीएम इंडस्ट्री इन कैसेट का वेयरहाउस उन्हें सौंपे और फिर वेयरहाउस को भरकर वापस कैसेट भेजे. जिससे खर्चा और लगात में बढ़ोतरी होती है.'
आप पर कैसे होगा इसका असर
बैंकर्स और एटीएम सप्लाई करनेवाले की मानें तो अगर इसे ठीक नहीं किया गया तो कैश निकालने में कमी आ जाएगी. एक बैंकर ने कहा कि, ' अगर ऐसा होता है तो नोटबंदी की तरह कोई दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि अब कैश के बदले डिजिटल ट्रांजैक्शन ज्यादा हो रहें हैं. तो वहीं लोग भी इसका इस्तेमाल ज्यादा कर रहें हैं. लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि समय के साथ इसे सुलझा लिया जाएगा.'
एटीएम के बंद करने के अन्य कारणों में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि बैंकों को इससे प्राप्त होने वाले रेवेन्यू में कोई वृद्धि नहीं हो रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार एटीएम में पैसे डलवाने के खर्च में भारी वृद्धि हो गई है और बैंकों को अब 3500 करोड़ रुपए सिर्फ एटीएम में पैसे डलवाने में खर्च करने पड़ेंगे. जानकारी के अनुसार ये कहा जा रहा है कि अगर एटीएम लगाने वाली कंपनियों के खर्चों में हुई वृद्धि को कम करने के लिए बैंक सहयोग नहीं करती है तो बड़ी संख्या में पूरे देश में एटीएम बंद हो सकते हैं.