नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल की कर्मचारी यूनियनों ने दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय संकट के लिए प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो को जिम्मेदार ठहराया है. यूनियनों ने आरोप लगाया है कि सरकार दूसरी कंपनियों की तुलना में रिलायंस जियो को संरक्षण दे रही है. यूनियनों ने इसके विरोध में तीन दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का एलान किया है.
कर्मचारी यूनियन का दावा है कि सरकार ने बीएसएनएल को 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन इसलिए नहीं किया है ताकि वह जियो के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके. रिलायंस जियो ने हालांकि, इन आरोपों पर टिप्पणी नहीं की है.
बीएसएनएल यूनियनों के मुकेश अंबानी पर आरोप
बीएसएनएल ने यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘फिलहाल सूचना दूरसंचार क्षेत्र संकट में है. इसकी प्रमुख वजह यह है कि मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने बाजार बिगाड़ने वाली दरें रखी हैं. जियो का खेल बीएसएनएल सहित अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को पूरी तरह बाजार से गायब करना है.
ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशंस आफ बीएसएनएल (एयूएबी) ने आरोप लगाया है कि पैसे की ताकत पर रिलायंस जियो लागत से कम की दरें पेश कर रही है. एयूएबी ने कहा कि निजी क्षेत्र की कई दूरसंचार कंपनियां एयरसेल, टाटा टेलीसर्विसेज, अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकम्युनिकेशंस और टेलीनॉर पहले ही अपने मोबाइल सेवा कारोबार को बंद कर चुकी हैं.
बयान में कहा गया है कि पूरा कॉम्पटीशन खत्म होने के बाद जियो दरों में जोरदार बढ़ोतरी करेगी. बयान में कहा गया है, ‘उसके बाद जियो कॉल और डाटा शुल्कों में भारी इजाफा कर जनता को लूटेगी. यह हमारे लिए चिंता का विषय है. रिलायंस जियो को खुलेआम नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से संरक्षण मिल रहा है.’ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से तत्काल इस पर प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
एयूएबी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सरकार से 4जी स्पेक्ट्रम की मांग करती आ रही है लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. यह सरकार की सोची समझी रणनीति है ताकि सरकारी कंपनी को रिलायंस जियों के साथ कॉम्पटीशन से रोका जा सके. एयूएबी ने कहा है कि बीएसएनएल के सभी अधिकारी और कर्मचारी तीन दिसंबर 2018 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं.