नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जटेली आज मोदी सरकार का पांचवा आम बजट पेश करने जा रहे हैं. ये मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. ऐसे में देश का टेक सेक्टर भी मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदे लगाए बैठा है. मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पहल के जरिए काफी इस सेक्टर में काफी बदलाव देखने को मिले हैं.
मेक इन इंडिया पहले के बावजूद टेक सेक्टर में अभी भी कई ऐसे कामों का होना बाकी है जो कि बड़े बदलाव में कारगर साबित हो सकते हैं. मेक इन इंडिया पहल के बाद देश में कई कंपनियों ने स्मार्टफोन बनाना तो शुरू कर दिया है, पर उनमें इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर पार्ट्स चीन से ही मंगाए जाते हैं.
आम बजट से एक दिन पहले देश की कई स्मार्टफोन मेकर्स ने उन बातों के बारे में बताया है जिसकी उम्मीद वह इस बार के आम बजट से लगाए बैठे हैं.
स्मार्ट्रोन कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन महेश ने मोदी सरकार से मांग की है जिसमें स्टार्टअप कंपनियों के लिए अलग से इन्वेस्टमेंट की जाए ताकि दूसरों पर उनकी निर्भरता कम हो. उनका कहना है कि भारत को ऐसे इन्वेस्टमेंट सिस्टम की जरूरत है जिसमें 15 से 20 बिलियन डॉलर स्टार्टअप कंपनियों को सपोर्ट करने के लिए खर्च किए जाएं. उनका मानना है कि ऐसा होने पर ही हम यूएस और चीन को तकनीक के मामले में टक्कर दे पाएंगे.
कूलपैड कंपनी के सीइओ सैयद का मानना है कि भारत सरकार को डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने के लिए देश के सभी हिस्सों में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए. इसके साथ ही उनका कहना है कि देशभर के सभी गांव और शहरों में तेज स्पीड वाले इंटरनेट नेटवर्क लगाने चाहिए.
देश के स्मार्टफोन मेकर मोदी सरकार से इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि साल 2018 में मोदी सरकार मोबाइल पर लगने वाली जीएसटी की दर को कम करेगी. ज्यादातर भारतीय स्मार्टफोन मेकर्स का मानना है कि 10 हजार से कम की कीमत वाले स्मार्टफोन पर लगने वाले जीएटी को कम किया जाना चाहिए.