नई नई जगहों पर जाकर घूमना फिरना, ट्रैवलिंग करना युवाओं, नेचर लवर्स और एडवेंचर पसंद लोगों का शौक होता है, क्योंकि दूर दराज़ की ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियां और घाटियां अपने खूबसूरत लैंडस्केप की वजह से उन्हें अपनी ओर खींचती हैं. लेकिन ऐसे लोग कोरोना महामारी की वजह से अपने घरों में ही रहने को मजबूर थे, लेकिन अब अनलॉक के बाद घर से निकलने का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है, लेकिन सावधानी के साथ. सरकार ने कोविड-19 से बचाव के अनेक सुझाव दिए हैं, उनमें से एक है स्मार्टफोन में आरोग्य सेतु ऐप का होना. और इसी वजह से आपका मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है.


अगर आप ट्रैवल के लुत्फ़ लेने के साथ-साथ अपनी यात्रा को सेफ और स्मूथ बनाना चाहते हैं तो याद रहे ट्रैवलिंग का मज़ा तभी है, जब घर से निकलने से पहले पूरी प्लानिंग की जाए. कुछ टिप्स याद रखे जाएं. ये प्लानिंग, ये टिप्स आपको "द ब्लूस्पून ट्रैवलर" शुभम गांधी से बेहतर कोई नहीं बता सकता.


शुभम एक ट्रेवल ब्लॉगर हैं, जिनको अनेक लोग यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर फॉलो करते हैं. बचपन से ही ट्रैवलिंग का जुनून रखने वाले शुभम गांधी बीते 8 साल से जमकर ट्रैवलिंग कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से पहले की तुलना में ट्रैवल के दौरान कई चीज़ें बदल गई हैं और कई नई सावधानियां जुड़ गई हैं. वो कहते हैं कि ट्रैवलिंग के दौरान बेहतर मोबाइल नेटवर्क का होना बहुत ही जरूरी है. शुभम के मुताबिक ना सिर्फ आरोग्य सेतु ऐप के लिए बल्कि होटल की तलाश और गूगल मैप्स के लिए भी इंटरनेट की जरूरत है. इसके साथ अगर आप किसी मुश्किल में फंस जाते हैं तब भी इंटरनेट सबसे बड़ा सहारा बनता है.



शुभम गांधी कहते हैं, "मैं तो ट्रैवल के दौरान इंटरनेट को बेहद महत्वपूर्ण समझता हूं." वो अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि ट्रैवल के दौरान आपका मन ट्रैवलिंग के अनुभव, रोमांच, फोटो और वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करने का भी हो सकता है. अगर आपने सही टेलीकॉम ऑपरेटर का चुनाव नहीं किया तो आपकी ये इच्छा अधूरी रह सकती है. इसके साथ इंटरनेट ट्रैवलिंग स्पॉट के आसपास की जगहों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए जरूरी है.


शुभम गांधी अपना निजी अनुभव शेयर करते हुए कहते हैं, ''पहाड़ी इलाकों में आपको मोबाइल नेटवर्क की समस्या का सामना जरूर करना पड़ेगा. चूंकि मैं एयरटेल का यूजर हूं इसलिए इस परेशानी से बच जाता हूं. मुझे कभी भी पहाड़ी या दूर दराज के इलाकों में कम से कम मोबाइल नेटवर्क की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है." वो बताते हैं कि इसलिए 2008 से ही उन्होंने एयरटेल को अपना रखा है.



मोबाइल नेटवर्क से जुड़े अपने एक खास अनुभव के बारे में शुभम कहते हैं, "हम ग्रुप में यात्रा करने के लिए पहाड़ी इलाके में गए थे. इस दौरान एक जगह मेरे ग्रुप के लोगों को मोबाइल नेटवर्क हासिल करने के लिए पहाड़ी से 300 मीटर नीचे उतरना पड़ा. सिर्फ मैं और मेरे वो दोस्त इस परेशानी से बच गए जो एयरटेल इस्तेमाल कर रहे थे. जिन लोगों के पास एयरटेल का कनेक्शन नहीं था उनके पास अपनी परेशानी से निजात पाने के दो ही रास्ते थे, एक या तो वो एयरटेल को चुन लें, दूसरा वो बिना मोबाइल नेटवर्क के ही अपनी यात्रा पूरी करें."


लेकिन बदले हालात में शुभम गांधी का कहना है कि अगर आप ट्रैवलिंग के लिए निकलते हैं तो मोबाइल नेटवर्क के साथ समझौता ना करें, क्योंकि यह सीधे-सीधे आपकी हेल्थ के लिए खतरा साबित हो सकता है. ट्रैवलिंग करने वालों को शुभम गांधी ये भी बताना चाहते हैं कि मौजूदा हालात में सोलो ट्रिप ज्यादा बेहतर है.