नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते सेंट्रल एयर कंडीशनर को लेकर तमाम सवाल इन दिनों उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल उस खतरे को लेकर है जिसके तहत यह आशंका है कि सेंट्रल एयर कंडीशनर यूनिट्स से कोरोना संक्रमण फैलने का भी बड़ा खतरा है. लेकिन, एबीपी न्यूज़ आज आपको एसी की एक ऐसी तकनीक के बारे में बता रहा है जिसमें कोरोना वायरस जल-भुनकर राख हो जाएगा. इस तकनीक का नाम है "ट्रैप एंड किल".
बेहद सस्ती है यह तकनीक
इस तकनीक को किसी भी स्कूल, बिल्डिंग, मॉल, ऑफिस में लगे सेंट्रल एयर कंडीशनर में लगाकर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है. इस तकनीक के साथ बाजार में मौजूद है मैग्नेटो क्लीन टेक जो बीते 3 साल से इस तकनीक को देश दुनिया की तमाम कंपनियों में लगा चुकी है. इस तकनीक को सेंट्रल एसी यूनिट में लगाने का खर्च 70-80 रुपये प्रति स्क्वायर फिट का आता है. इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि इस पर सिर्फ एक बार खर्चा करना है. एक बार एसी फिल्टर की यह तकनीक लगाने पर जीवन भर काम करेगी. इसके अलावा इस तकनीक को लगाने से बिजली का खर्च भी कम हो जाता है.
कैसे जलकर राख हो जाता है कोरोना?
मैग्नेटो क्लीन टेक के सीईओ हिमांशु अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में इस तकनीक का पूरा ब्यौरा दिया. उन्होंने बताया कि इस तकनीक में एसी फ़िल्टर के बाद एक "poloriser" लगाया जाता है. इस poloriser से इलेक्ट्रान बीमिंग की जाती है. इस सेक्शन की मदद से छोटे छोटे कीटाणु के आपस में जुड़ने की प्रक्रिया शुरू होती है. इस सेक्शन में सभी छोटे छोटे कीटाणु जुड़कर आपस में आकार में बड़े होने शुरू हो जाते हैं. इसके बाद "इम्पिंजमेंट" का हिस्सा होता है. इस हिस्से में जो कीटाणु जुड़कर आपस में बड़े आकार के हो गए थे वह आकर फंस जाते हैं. यहां पर अल्ट्रा वायलेट किरणों से इन कीटाणुओं को मार दिया जाता है. यहां पर इन कीटाणुओं की सिर्फ राख बचती है. इसको निकालकर आसानी से पानी से धोकर या एयर प्रेशर से साफ किया जा सकता है.
देश-दुनिया की तमाम कंपनियों की लगी कतार
मैग्नेटो क्लीन टेक के सीईओ हिमांशु अग्रवाल ने बताया की कंपनी की ट्रैप एंड किल टेक्नोलॉजी को लगवाने के लिए देश दुनिया की तमाम कंपनियां उनसे संपर्क कर रही हैं. उन्होंने बताया कि आज की तारीख में हमारे पास काम बहुत ज्यादा आ चुका है. ऐसे में अब हमें यह भी देखना होगा कि क्या हम सभी कंपनियों की मांग को पूरा कर भी पाएंगे या नहीं. हिमांशु ने बताया कि उनकी इस तकनीक को कई अंतरराष्ट्रीय लैबोरेट्री प्रमाणित कर चुकी हैं. यह तकनीक बैक्टीरिया पर 100 फ़ीसदी कारगर है. इसके अलावा H1N1 वायरस पर यह तकनीक 99% प्रमाणित है. इसी के बलबूते पर कंपनी को पूरी उम्मीद है कि यह तकनीक कोरोना वायरस को मारने में भी पूरी तरह से सफल है. हालांकि अभी लॉकडाउन के चलते कंपनी कोरोनावायरस को लेकर किसी लेबोरेटरी में टेस्ट नहीं करवा सकी है. लेकिन लॉक डाउन खोलने के तुरंत बाद कंपनी लेबोरेटरी से भी इसको प्रमाणित करवाएगी.
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