नई दिल्ली: फेसबुक ने गुरूवार को कंफर्म किया कि एडवरटाइजर्स के पास यूजर्स के फोन नंबर मौजूद होते थे जिससे सोशल नेटवर्क की सिक्योरिटी को और बढ़ाया जा सके. अमेरिकी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में ये पाया गया कि दो फैक्टर अथॉंटिकेशन के लिए जिन फोन नबंर्स का इस्तेमाल किया जाता था उन्हें टारेगट विज्ञापन के लिए भी दिया जाता था. रिपोर्ट का खुलासा सबसे पहले न्यूज वेबसाइट गिजमोडो ने किया है.


टू फैक्टर अथॉंटिकेशन को सिक्योरिटी के रुप में इस्तेमाल किया जाता है जो सिक्योरिटी का दूसरा स्टेप है. इसमें यूजर्स को टेक्स्ट मैसेज के जरिए कोड मिलता है जहां उन्हें अपने अकाउंट की सिक्योरिटी के लिए  इस कोड का इस्तेमाल करना होता है. बता दें कि सिक्योरिटी के लिए फोन नंबर को प्रोफाइल में जोड़ा जाता था.


रिसरचर्स ने खुलासा किया कि कांटैक्ट लिस्ट को फेसबुक पर पर्सनल इंफॉर्मेशन के लिए अपलोड किया जाता है जिसका मतलब ये हुआ कि कैसे न कैसे विज्ञापन कंपनियों को इस बात का फायदा होता है और वो यूजर्स के दोस्तों को टारगेट करते हैं.


फेसुबक की प्रवक्ता ने कहा कि हम लोगों के नंबर इसलिए लेते थे जिससे उनके फेसबुक इस्तेमाल किए जाने के अनुभव को और शानदार बनाया जा सके जिसमें एड्स भी शामिल है. हम जानते हैं कि हम लोगों के जरिए दी गई जानकारी का इस्तेमाल कैसे करते हैं. बता दें कि फेसबुक पहले ही लोगों की जानकारी को लीक करने को लेकर जाल में फंसा हुआ है जहां उसपर अभी तक कई आरोप लगाए जा चुके हैं.


कंपनी ने माना था कि उन्होंने 87 मिलियन यूजर्स के डेटा का हाईजैक किया था.