नई दिल्ली:  कैम्ब्रिज एनालिटिका विवाद के बाद फेसबुक के यूजर्स के डेटा की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एपल, सैमसंग सहित 60 डिवाइस मेकर्स को फेसबुक ने यूजर्स के पर्सनल डेटा का एक्सेस दिया. ना सिर्फ यूजर बल्कि उनके दोस्तों के पर्सनल डेटा का इस्तेमाल भी ये कंंपनियां कर सकती थी. हैरानी की बात ये है कि स्मार्टफोन कंपनियों के लिए ये डेटा एक्सेस इस साल अप्रैल महीने में बंद किया गया जबकि मार्क जकरबर्ग अपनी टेस्टिमनी में ये दावा कर चुके हैं कि 2014 के बाद यूजर का डेटा किसी भी थर्ड पार्टी को नहीं एक्सेस करने दिया गया.


NYT की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक ने कहा था कि किसी भी इंटिग्रेटेड एपीआई के एक्सेस को खत्म किया जाएगा लेकिन अभी भी फेसबुक कई लोगों के साथ ऐसी साझेदारी रखता है जिसके तहत डेटा एक्सेस किया जा सके.


डील से हुआ फेसबुक को फायदा


न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक फेसबुक ने कई कंपनियों के साथ एक डील साइन की थी जिससे फेसबुक को अपनी रीच बढ़ाने में मदद मिल सके. रिपोर्ट के मुताबिक यह पार्टनरशिप डील अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) की नीतियों का उल्लंघन करती है. वहीं फेसबुक के अधिकारियों ने इस बात से इंकार किया है. उनका कहना है कि इस साझेदारी के तहत फोन निर्माताओं को सीमित डेटा का उपयोग करने की इजाजत दी जाती है जिसमें यूजर्स का व्यक्तिगत डेटा शामिल नहीं है. डील के मुताबिक, स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां फेसबुक पर यूजर के लाइक और मैसेज तक एक्सेस करके सोशल मीडिया पर  से ऑफर दे सकती हैं.  न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि ये साझेदारी फेसबुक ने साल 2018 तक जारी रखी है.


2010 से चल रही है डील


 ये डील साल 2010 से शुरु होती है. फेसबुक जब लोगों के बीच इतना मशहूर नहीं हुआ था तभी कंपनी ने डिवाइस मेकर्स के साथ अपने डील को साइन कर लिया था. वहीं कुछ स्मार्टफोन मेकर्स अब भी यूजर्स की पर्सनल इन्फॉर्मेशन हासिल कर रहे हैं, जबकि यूजर्स इस भ्रम में हैं कि उनका डेटा शेयर होना बंद हो चुका है. कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक मामला सामने आने के बाद फेसबुक पर पहले से ही करोड़ों यूजर्स के डेटा का मिसयूज करने का आरोप है. इस विवाद में जकरबर्ग ने यूएस कांग्रेस के सामने डेटा प्राइवेसी को अहम बताते हुए ऐसी गलती दोबारा ना दोहराने की बात कही थी.


फेसबुक ने किया इंकार


फेसबुक के अधिकारियों ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कंपनियों के साथ पार्टनरशिप एक कांट्रेक्ट के जरिए किया गया था जिसमें यूजर्स के डेटा शेयर को लेकर कड़े निर्देश दिए गए थे. हालांकि उन्होंने ये खंडन नहीं किया है कि डेटा शेयर नहीं हुआ. ऐसे में फेसबुक एकबार फिर बड़ी मुश्किल में फंस सकता है.