नई दिल्लीः कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर हुए स्टिंग ऑपरेशन के बाद फेसबुक आलोचनाओं से बुरी तरह घिर चुका है. कैंब्रिज एनालिटिका एक पॉलिटिकल कंसल्टेंसी फर्म है जिसने करीब 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डेटा एक थर्ड पार्टी एप के जरिए एक्सेस किया और फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग के पास इस सेक्योरिटी ब्रीच (यूजर के डेटा से छेड़छाड़) का कोई जवाब नहीं है. स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि इस डेटा का इस्तेमाल अमेरिका में हुए 2016 चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया.


ये पहली बार नहीं है कि जब यूजर्स के डेटा का बिना उसकी इजाज़त के इस्तेमाल का आरोप लगा है. ऐसा करना फेसबुक के लिए बेहद आम बात है. आप ना जाने कितने ही तरीकों से फेसबुक के साथ अपना पर्सनल डेटा शेयर करते हैं और ये डेटा फेसबुक आपसे इजाजत के बिना अपनी सहुलियत से इस्तेमाल करता है.


फेसबुक और यूजर सेक्योरिटी ऐसे मुद्दा है जिसपर कई बार बहस छिड़ चुकी है और अब एकबार फिर कैंब्रिज एनालिटिका के खुलासे के बाद ये बहस तेज हो गई है. ट्विटर पर फेसबुक के विरोध में #deletefacebook कैंपेन चलाया जा रहा है. इस विवाद के बाद हर फेसबुक यूजर्स के लिए ये जानना बेहद जरुरी है कि आखिर आप किन-किन तरीकों से कई बार अनजाने में तो कई बार जानकर फेसबुक से अपना डेटा शेयर करते हैं.

ब्राउजिंग डिटेल
सबसे पहले आपको ये समझना होगा कि जब कोई भी यूजर फेसबुक पर ऑनलाइन होता है तो कम से कम तीन अलग-अलग माध्यम यूजर की एक्टिविटी पर नजर बनाए रखते हैं. आपके ब्राउजिंग यानी आप किस बारे में सर्च कर रहे हैं इसकी जानकारी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को होती है, दूसरा होस्ट वेबसाइट यानी आप जिस वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं उसे आपके ब्राउजिंग डेटा की जानकारी होती है और तीसरा होता है फेसबुक जिसके जरिए आप उस वेबसाइट तक पहुंच रहे हैं. इसे ऐसे समझिए कि आपने फेसबुक का इस्तेमाल करते वक्त किसी लिंक पर क्लिक किया तो फेसबुक को आपके सर्च इंटरेस्ट की जानकारी मिल जाती है.

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फेसबुक कनेक्ट
फेसबुक के लिए किसी यूजर का डेटा पाने का सबसे आसान तरीका है Connect With Facebook. SimilarTech की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 5 मिलियन यानी 50 लाख से ज्यादा वेबसाइट्स फेसबुक के जरिए लॉग-इन करने का विकल्प देती हैं. इसी तरह कई एप भी फेसबुक के जरिए लॉगइन करने का विकल्प देते हैं. कई बार यूजर्स इसे आसान तरीका मानकर चुन लेता है. जैसे ही आप कनेक्ट वाया फेसबुक पर क्लिक करते हैं फेसबुक आपकी जानकारी उस वेबसाइट से भी साझा करता है, जिससे वह आपकी डेटा में  बेहद आराम से सेंधमारी करता है. इतना ही नहीं यदि आप ऐसा करते हुए कोई ब्लॉग भी पढ़ते हैं तो यहां से भी फेसबुक आपका डेटा कलेक्ट करता है.


खास तरह के ऑनलाइन गेम के जरिए
आजकल फेसबुक पर खास तरह के ऑनलाइन गेम छाए हुए हैं. जैसे- जानिए आपके खास दोस्त कैसे हैं? जानें आपका व्यक्तित्व कैसा है वगैरह-वगैरह. इन गेम का चलन भी लोगों में बढ़ रहा है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि ये थर्ड पार्टी वेबसाइट्स इस तरह के गेम के नतीजे कैसे देती हैं? दरअसल इन लिंक पर क्लिक करते ही आपके फेसबुक प्रोफाइल का एक्सेस थर्ड पार्टी लिंक की ओर से मांगा जाता है यानि वो ऐप आपसे फेसबुक पर मौजूद आपकी सारी जानकारी हासिल करने की अनुमति मांगता है. जैसे आप उसे इसकी इज़ाजत यानि एक्सेस देते हैं फेसबुक इन थर्ड पार्टी होस्ट (वेबसाइट/ एप) से आपका डेटा (जिनमें आपकी फ्रेंड लिस्ट और चैट शामिल होती हैं) शेयर करता है. जाने-अनजाने इस गेम और अपने मनोरंजन के लिए आप अपना कीमती डेटा फेसबुक सहित थर्ड पार्टी वेबसाइट से साझा कर बैठते हैं.


कुकीज़ के जरिए
कुकीज़ (Cookies) एक ऐसा शब्द है जो आपने ऑनलाइन होते वक्त कई बार देखा होगा. कुकीज़ के जरिए फेसबुक यूजर की एक्टिविटी और उसके सर्च से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करता है. कुकीज़ डेटा का छोटा सा हिस्सा होता है जो यूजर के ब्राउजिंग से जुड़ी जानकारी वेबसाइट को रिकॉर्ड के तौर पर भेजता है. फेसबुक की ओर से हमेशा दावा किया जाता है कि वह आपका डेटा का इस्तेमाल आपके एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए करता है ताकि वह यूजर की पसंद और लोकेशन के मुताबिक कंटेंट मुहैया करा सकें.


साल 2007 में फेसबुक सीईओ जकरबर्ग ने डेवलपर्स को इनवाइट किया था. उस वक्त फेसबुक की ओर से कहा गया था कि इन थर्ड पार्टी वेबसाइट्स को फेसबुक यूजर की फ्रेंड लिस्ट लाइक्स, यूजर बिहेवियर से जुड़ी जानकारी की एक्सेस दी जाएगी.


कैसे आपके डेटा से छेड़-छाड़ हो रही है?
अगर आप अब तक ये सोच रहे हैं कि आपका ये डेटा फेसबुक लेकर कर ही क्या सकता है? तो आप गलत हैं. ये ना सिर्फ आपकी चैट और आपके लाइक, शेयर की एक्टिविटी पर नजर रखता है बल्कि थर्डपार्टी वेबसाइट से साझा भी करता है. साल 2015 में फेसबुक डेटा ब्रीच की एक रिपोर्ट सामने आई थी. कंपनी ने उस वक्त लीक रिकॉर्ड को डिलीट करने की बात कही थी लेकिन वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक एक बार आपकी जानकारी थर्ड पार्टी साइट्स को पहुंच गईं तो इस जानकारी को खत्म नहीं किया जा सकता.


कैंब्रिज एनालिटिका ने जिस तरह इस डेटा का राजनीतिक इस्तेमाल किया है, उससे ये साफ होता है कि किस तरह आपका डेटा आपके ही राजनितिक विचार और मत को कमजोर और प्रभावित करके किसी पार्टी विशेष या नेता विशेष को फायदा पहुंचाता है.


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