नई दिल्ली: पॉपुलर सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक ने डेटा लीक मामले में पांच बिलियन डॉलर यानी करीब 35 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का फैसला किया है. 9 करोड़ अमेरिकी यूजर्स का डेटा लीक होने के मामले में फेडरल ट्रेड कमीशन ने फेसबुक पर यह जुर्माना लगाने का फैसला किया था.


अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमीशन ने पिछले महीने फेसबुक के खिलाफ डेटा लीक मामले में अलग से जांच की शुरुआत की थी. इस जांच के बाद कमीशन ने फेसबुक पर यूजर्स की प्राइवेसी के साथ समझौता करने का दोषी पाते हुए 5 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाने का फैसला किया. कमीशन की जांच में पाया गया कि उसने 2012 में बनाए गए प्राइवेसी के नियमों का हनन किया है.


प्राइवेसी के लिए फेसबुक में होंगे बदलाव


इतना ही नहीं नए समझौते के तहर फेसबुक यूजर्स की प्राइवेसी का ख़याल रखने के लिए अलग से प्राइवेसी कमेटी बनाने पर काम करेगा. इस कमेटी का काम यूजर्स के डेटा को इफेक्ट होने से रोकना होगा. फेसबुक अब किसी भी थर्ड पार्टी ऐप को यूजर्स का डेटा भी नहीं देगा. फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''हम नए प्राइवेसी कंट्रोल लेकर आ रहे हैं. जब यह फीचर काम करेंगे लगेंगे तो हम यूजर्स को नोट के जरिए इसके बारे में जानकारी देंगे


फेसबुक को पहले से था जुर्माना लगने का अनुमान


फेसबुक को पहले से ही यह जुर्माना लगने का अनुमान था, क्योंकि फेसबुक ने पहले ही अपने इंवस्टर्स को अलग रखी गई रकम की जानकारी दे दी थी. कंपनी का मानना है कि इस जुर्माने से उसकी वित्तिय स्थिति पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ने जा रहा है.


कैम्ब्रिज एनालिटिका डेटा लीक


कैम्ब्रिज एनालिटिका ब्रिटेन की पॉलिटिकल पीआर कंपनी है. इस कंपनी पर आरोप है कि अमेरिकी चुनाव के दौरान ट्रंप को फायदा पहुंचाने के लिए इसने फेसबुक यूजर्स का डेटा लेकर उसका गलत इस्तेमाल किया. पिछले साल जब यह आरोप सामने आए थे तो फेसबुक ने माना था कि उसने कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ डेटा शेयर किया है.