नई दिल्लीः फेसबुक एक बार फिर विवादों के घेरे में है. कंपनी सबसे बड़ी डेटा लीक कंट्रोवर्सी का शिकार हुई है. यूजर्स के डेटा के साथ हुई इस छेड़छाड़ पर कंपनी के मालिक मार्क जकरबर्ग कटघरे में हैं और उनके पास फिलहाल यूजर्स के सवालों का जवाब नहीं है. ब्रिटिश न्यूज टेलीविजन चैनल 4 ने पॉलिटिकल कंसल्टेंसी फर्म कैंब्रिज एनालिटिका पर एक स्टिंग ऑपरेशन किया. इस फर्म ने करीब 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डेटा एक थर्ड पार्टी एप के जरिए एक्सेस किया और इसकी मदद से डॉनल्ड ट्रंप को 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फायदा पहुंचाया.


फेसबुक आजकल हर कैंपेन या एड के लिए सबसे खास जगह बन चुकी है. साल 2017 के आंकड़ों के मुताबिक फेसबुक के दुनियाभर में 2.2 बिलियन यानी 220 करोड़ मंथली एक्टिव यूजर्स हैं. साल 2004 में लॉन्च हुई कंपनी फेसबुक आज 14 सालों में दुनिया का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्क प्लेटफॉर्म है. यूजर्स को फ्री एक्सेस देने वाला फेसबुक आखिर कमाई कैसे करता है?



                                                          कैसे कमाई करता है फेसबुक?


फेसबुक को 2004 में जब लॉन्च किया गया तो इसे हावर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों को आपस में जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया था. दो साल में फेसबुक के चर्चे पूरे अमेरिका में छा गए और साल 2006 में गूगल और याहू जैसी कंपनियों ने मार्क जकरबर्ग को फेसबुक खरीदने का ऑफर दिया. कहा जाता है कि ये दोनों कंपनियां फेसबुक की कीमत 2 बिलियन डॉलर देने को तैयार थे लेकिन जकरबर्ग ने ये सौदा नहीं किया.


विज्ञापन है फेसबुक की कमाई का अहम जरिया
साल 2007 फेसबुक के लिए बेहद अहम साबित हुआ. मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक के लिए विज्ञापन पॉलिसी का विस्तार किया और डेवलपर्स को फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर इनवाइट किया. बदले में ये फेसबुक की ओर से इन थर्ड पार्टी वेबसाइट्स को फेसबुक यूजर की फ्रेंड लिस्ट लाइक्स, यूजर बिहेवियर से जुड़ी जानकारी का एक्सेस देना शुरु कर दिया. आपको फ्री सेवा देने वाले फेसबुक की कमाई का खास जरिया विज्ञापन होता है. जो भी ब्रांड, कंपनी, मर्चेंट फेसबुक के यूजर्स तक अपने प्रोडक्ट की पहुंच चाहता है उसे फेसबुक को पैसे देने होते है. फेसबुक अपने यूजर्स को एरिया, उम्र, लिंग के आधार पर बांटता है और प्रोडक्ट की पहुंच इन तक बनाता है.


डेवलपर्स के जरिए कमाई
अपनी आय का एक हिस्सा फेसबुक डेवलपर्स से लेता है. दरअसल फेसबुक डेवलपमेंट टूल और एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेज़) जारी करता रहता है. जिसकी मदद से डेवलपर्स फेसबुक सपोर्टिव एप बनाते हैं. जब भी कोई यूजर इन एप के जरिए खरीद करता है तो इसकी एक निश्चित फीस फेसबुक को डेवलपर की ओर से दी जाती है.



                             किन-किन सर्विस के जरिए फेसबुक ऑनलाइन दुनिया में छाया है


व्हाट्सएप: फेसबुक ने साल 2014 में देश की सबसे ज्यादा यूजर बेस वाले इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप को खरीदा. इसके लिए फेसबुक ने 19 बिलियन डॉलर की रकम चुकाई. ये टेक की दुनिया में अबतक की सबसे बड़ी डील्स में शुमार है. इस अधिग्रहण के बाद व्हाट्सएप की ओनर कंपनी फेसबुक है. यानी व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हुए भी आप अप्रयत्क्ष रुप से फेसबुक का रेवेन्यू बढ़ा रहे होते हैं.



इंस्टाग्राम: यंगस्टर्स के बीच पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म स्नैपचैट को इंस्टाग्राम टक्कर देता है. इंस्टाग्राम यंगस्टर्स के बीच काफी लोकप्रिय है. ये फोटो शेयरिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है यहां यूजर्स तस्वीरें शेयर करते हैं. इस एप की ओनर कंपनी भी फेसबुक है.



मैसेंजर: पहले फेसबुक में ही मैसेज ब़ॉक्स दिया जाता था लेकिन साल 2011 में फेसबुक ने अलग मैसेजिंग एप मैसेंजर उतारा. अब अगर आप स्मार्टफोन जरिए फेसबुक पर चैट करना चाहते हैं तो आपको मैसेंजर एप इंस्टॉल करना ही होगा. इस तरह व्हाट्सएप के अलावा फेसबुक अपने मैसेजिंग एप मैसेंजर को भी लागातार बढ़ा रहा है.



इन कुल तीन सोशल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ज्यादातर यूजर्स करते हैं और तीनों ही प्लेटफॉर्म फेसबुक के अंतर्गत आते है. इस तरह चाहे-अनचाहे ज्यादातर सोशल मीडिया का इस्तेमाल फेसबुक को ही फायदा पहुंचाता है.