नई दिल्ली: फेसबुक इंक ने मंगलवार को रायटर्स को कहा कि वो राजनीतिक विज्ञापन नियमों को लेकर सख्ती बरतेगा. फेसबुक ऐसा कदम साल 2019 में होने वाले चुनाव को देखते हुए उठाएगा. ये चुनाव भारत, नाइजीरीया, यूक्रेन और यूरोपियन यूनियन में होने वाले हैं.


फेसबुक एक ऐसा सोशल मीडिया सर्विस है जो हर देश में चलता है. लेकिन साल 2016 से ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है जहां राजनीतिक पार्टियां फेक न्यूज और अपने पार्टियों की झूठी कहानी गढ़ने में लगी हई हैं. तो वहीं कई विज्ञापन ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से फेक हैं लेकिन यूजर्स उनकी पहचान नहीं कर पा रहें हैं.


ऐसे में फेसबुक पर विज्ञापन खरीदना आपके साथ कई सारे यूजर्स को तो जोड़ता ही है लेकिन ये चुनाव के नियम और कंपनी के पॉलिसी को भी तोड़ता है. इस मामले में पिछले साल फेसबुक को कई सारी कंपनियों, एजेंसी और अथॉरिटी की तरफ से प्रेशर बनाया गया जिसके बाद कंपनी ने अब राजनीतिक विज्ञापन को लेकर सख्ती दिखानी शुरू कर दी है.
बुधवार को नाइजीरिया से इसकी शुरूआत हुई जहां अब सिर्फ वो कंपनियां या पार्टियां ही विज्ञापन चला सकती है जो देश में मौजूद है. वहीं ठीक यही पॉलिसी फरवरी में यूक्रेन में होने वाले चुनाव के लिए भी लागू होंगे.


वहीं भारत की अगर बात करें तो इसकी शुरूआत अगले महीने से होने वाली है. तो वहीं अब लोकसभा चुनाव 2019 भी काफी करीब आ चुका है जहां चुनाव होने में मात्र 80 दिनों की वक्त बचा हुआ है. फेसबुक ने कहा कि भारतीय आरकाइव में विज्ञापन खरीदने वाले लोगों की जानकारी उनके ऑफिशियल रेगुलेटरी सर्टिफिकेट पर होंगी तो वहीं कोई और अगर विज्ञापन खरीदता है तो फेसबुक इस बात पर ध्यान देगा कि उस व्यक्ति का नाम सरकारी डॉक्यूमेंट से मैच हो.