नई दिल्ली: देश में जनता को ऑनलाइन FIR की सुविधा होनी चाहिए या नहीं इसको लेकर गृह मंत्रालय ने लॉ कमीशन से सलाह मांगी है. दरअसल हाल के दिनों में ऐसी मांग गाहे बगाहे उठती रही है कि भारत में जनता को ऑनलाइन FIR की भी सुविधा होनी चाहिए. लेकिन इस मामले का एक पक्ष यह भी है कि अगर FIR ऑनलाइन होने लगेंगे तो लोग इसका गलत फायदा भी उठा सकते हैं.
आपको बता दें कि FIR करने का हक जनता को सीआरपीसी की धारा 154 के तहत मिलता है. इसको लेकर साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 154 के तहत FIR दर्ज करना अनिवार्य है, खासकर उन मामलों में जिनमें शुरुआती जांच मुमकिन न हो. अब सोचिए ज़रा कि अगर घर बैठे ही ऑनलाइन FIR की सुविधा मिलने लगे तो इसके क्या परिणाम सामने आ सकते हैं. आने वाले दिनों मे अगर इस तरह का कानून बन जाता है तो इसके क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं.
नुकसान
- कई लोगों को पुलिस के सामने झूठ बोलने में दिक्कत होती है अगर हम इसको ऑनलाइन करेंगे तो झूठ बोलने में आसानी होगी और गलत आरोप लगा सकते हैं.
- कोई भी ऑनलाइन FIR का सहारा लेकर किसी की इमेज खराब कर सकता है.
- उन लोगों के लिए ये तरीका कारगर नहीं है जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, दूर दराज इलाकों में रहते हैं या इंटरनेट की समझ नहीं है
- अगर सभी लोग ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाने लगें तो FIR की संख्या ऑनलाइन बढ़ सकती है.
- ऐसा माना जाता है कि भारत में जितने लोग FIR करवाते हैं, उनमें 10 प्रतिशत लोग फेक केस करते हैं, ऐसे में ऑनलाइन से मुश्किल बढ़ सकती है
-ऑनलाइन एफआईआर से पॉलिटिकल विरोधी और दूसरी विरोधी जातियों के खिलाफ केस करना आसान हो जाएगा
फायदे
- ऑनलाइन एफआईआर की मदद से लोग आसानी से केस दर्ज कर सकेंगे तो वहीं पुलिस भी इन मामलों में न नहीं कर पाएगी.
- पुलिस के टालमटोल और इनकार से बच जाएंगे
- अक्सर लोग पुलिस के पास जाने में असहज और डरा हुआ महसूस करते हैं. जिसके बाद उन्हें ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाने में काफी आसानी होगी.
- महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार को देखते हुए, ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाना महिलाओं के लिए काफी आसान हो जाएगा.
जमीनी स्तर: कानून आयोग फिलहाल इसपर गृह मंत्रालय से बात कर रहा है जहां ये कहा जा रहा है कि एफआईआर को ऑनलाइन दर्ज करवाया जा सकता है. वहीं ये भी बताया जाएगा कि इसे कैसे करना है. आईपीसी के सेक्शन 182 के तहत फेक एफआईआर के मामले में कहा जा रहा है कि इसमें नया कानून बनना चाहिए जहां फेक केस दर्ज करवाने वाले व्यक्ति को 5 साल की सजा होनी चाहिए. वहीं सीआरपीसी के सेक्शन 154 के तहत इसमें कुछ बदलाव करना भी बाकी है.