नई दिल्ली: फ्लिपकार्ट के 77 प्रतिशत स्टेक पर वॉलमार्ट के कब्जे के बाद कंपनी ने सरकार को और अमीर बना दिया है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को 10,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. ये फायदा ऐसे वक्त में हुआ जब अमेरिकी रिटेल जाएंट वॉलमार्ट देय राशि का भुगतान करने के लिए पूरी तरह से सहमत हो गया. पेमेंट के बाद वॉलमार्ट ने उन सारी देय राशि को खत्म कर दिया जिसे 16 बिलियन ट्रॉजैक्शन से पाया गया था. इसमें 2 बिलियन फ्रैश इंवेस्टमेंट थे. इन सबका नतीजा ये हुआ कि टैक्स का भुगतान शेयर सेल के आधार पर किया गया जो करीब 14 बिलियन था.


वॉलमार्ट ने कहा है कि उसने आर्थिक दायित्व को खत्म कर दिया. कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि, ' हम कानूनी दायित्व को गंभीरता से ले रहे हैं. जिसमें जहां से हम काम कर रहे हैं वहां से सरकार को टैक्स भरना शामिल है. फ्लिपकार्ट इंवेस्टमेंट को देखते हुए हमने भारतीय टैक्स प्राधाकारी के गायडेंस में अपना आर्थिक दायित्व पूरा कर चुके है.'


बेंटनविल में वॉलमार्ट के हेडक्वार्टर में अधिकारियों की एक टीम ने अखिलेश रंजन से मुलाकात की जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में विदेशी कर- निर्धारन को देखते हैं. पूरी डील तब विवाद के रुप में सामने आया जब कुछ विक्रेताओं ने कैपिटल गेन टैक्स में छूट की मांग की थी. सरकार ने इस मामले में छूट देने से पूरी तरह से इंकार कर दिया था और कहा था कि 7 सितंबर देय राशि का भुगतान करने की आखिरी तारीख है.


फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच जैसे ही ये डील हुई सरकार की नजर तभी से ही इन कंपनियों पर थी. सरकार नहीं चाहती थी कि उसके साथ फिर वोडाफोन की तरह कुछ हो जहां टेलीकॉम कंपनी ने बिना टैक्स भरे ही हचिसन हॉमपोआ के साथ डील कर लिया था.