अगर आप स्मार्टफोन पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं तो आपको है इस डिसऑर्डर का खतरा
इससे जोखिम भरी गतिविधियों में दिलचस्पी, नशाखोरी और कानूनी समस्याओं में वृद्धि हो सकती है.
नई दिल्ली: किशोरों और बच्चों के अधिक समय तक फोन पर लगे रहने से उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है और उनमें अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) का खतरा हो सकता है. जामा नाम की पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है. शोध के अनुसार, अक्सर डिजिटल मीडिया उपयोग करने वालों में एडीएचडी के लक्षण लगभग 10 प्रतिशत अधिक होने का जोखिम दिखाई देता है. लड़कियों के मुकाबले लड़कों में यह जोखिम अधिक है और उन किशोरों में भी अधिक मिला जिन्हें पहले कभी डिप्रेशन रह चुका है. एडीएचडी के कारण स्कूल में खराब परफॉर्मेंस सहित किशोरों पर कई अन्य नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं. इससे जोखिम भरी गतिविधियों में दिलचस्पी, नशाखोरी और कानूनी समस्याओं में वृद्धि हो सकती है.
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता के साथ युवाओं में फेसबुक, इंटरनेट, ट्विटर और ऐसे अन्य एप्लिकेशंस में से एक न एक का आदी होने की प्रवृत्ति आम है. इससे अनिद्रा और नींद टूटने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लोग सोने से पहले स्मार्टफोन के साथ बिस्तर में औसतन 30 से 60 मिनट बिताते हैं."
उन्होंने कहा, "मोबाइल फोन के उपयोग से संबंधित बीमारियों का एक नया स्पेक्ट्रम भी चिकित्सा पेशे के नोटिस में आया है और यह अनुमान लगाया गया है कि अब से 10 साल में यह समस्या महामारी का रूप ले लेगी. इनमें से कुछ बीमारियां ब्लैकबेरी थम्ब, सेलफोन एल्बो, नोमोफोबिया और रिंगजाइटी नाम से जानी जाती हैं."
एडीएचडी के कुछ सबसे आम लक्षणों में ध्यान न दे पाना (आसानी से विचलित होना, व्यवस्थित होने में कठिनाई होना या चीजों को याद रखने में कठिनाई होना), अति सक्रियता (शांत होकर बैठने में कठिनाई), और अचानक से कुछ कर बैठना (संभावित परिणामों को सोचे बिना निर्णय लेना) शामिल हैं.
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "गैजेट्स के माध्यम से जानकारी की कई अलग-अलग धाराओं तक पहुंच रखने से मस्तिष्क के ग्रे मैटर के घनत्व में कमी आई है, जो संज्ञान के लिए जिम्मेदार है और भावनात्मक नियंत्रण रखता है. इस डिजिटल युग में, अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है पूर्ण संयम, यानी प्रौद्योगिकी का हल्का फुल्का उपयोग होना चाहिए."
डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, "इलेक्ट्रॉनिक कर्फ्यू का मतलब है सोने से 30 मिनट पहले किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग नहीं करना. पूरे दिन के लिए सप्ताह में एक बार सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बचें. मोबाइल फोन का उपयोग केवल कॉलिंग के लिए करें. दिन में तीन घंटे से अधिक समय तक कंप्यूटर का उपयोग न करें. अपने मोबाइल टॉकटाइम को दिन में दो घंटे से अधिक समय तक सीमित करें. दिन में एक से अधिक बार अपनी मोबाइल बैटरी रिचार्ज न करें."