नई दिल्ली:
एमनेस्टी इटंरनेशनल ने गूगल के नए एप को लेकर एक खुलासा किया है. एमनेस्टी ने कहा कि गूगल अपने नए एप में यूजर्स को बिना एंड- टू- एंड इन्क्रिप्शन के सर्विस उपलब्ध करवाएगा जो साइबर अपराधियों और जासूसों के लिए एक गिफ्ट जैसा है. आपको बता दें कि गूगल के नए एप का नाम ' चैट ' है.
गूगल का नया एप ' चैट '
चैट एप को लेकर गूगल जहां अपना बचाव कर रहा है और उसे बेहतर बता रहा है तो वहीं एमनेस्टी इस एप को निशाने पर ले रहा है. आपको बता दें कि गूगल ने अपने पुराने एप ' एलो ' पर पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है. लेकिन अब कंपनी इन दिनों एक नई सर्विस पर काम कर रही है, जिसे Chat नाम दिया गया है. गूगल के इस एप के जरिए यूजर्स नॉर्मल मैसेज भेज पाएंगे और इस फीचर के लिए उन्हें एप से बाहर निकलने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
हालांकि गूगल के प्रवक्ता ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा है कि, " चैट की नई सर्विस में हम एंड- टू- एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग नहीं करेंगे. तो वहीं गूगल अपने मौजूदा मैसेजिंग एप ' एलो ' में निवेश रोक रहा है. जिसमें एंड- टू- एंड एन्क्रिप्शन का विक्लप मौजूद था.
क्या होता है एंड- टू- एंड एनक्रिप्शन
एप को इस्तेमाल करते वक्त यूजर्स हमेशा अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित रहते हैं और सतर्कतापूर्व ही किसी एप को अपनी पूरी जानकारी देते हैं. एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन एक सिक्योरिटी फीचर है. जहां एक यूजर दूसरे यूजर से चैट कर पाएगा तो वहीं वीडियो, डेटा और फोटो बिना डेटा शेयर करे उसे भेज पाएगा. दोनों के चैट्स आपस में ही रहेंगे जिसे कोई नहीं पढ़ पाएगा.
आपको बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए न्यूनतम आवश्यकता एंड- टू- एंड इन्क्रिप्शन मानता है जिससे ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि एप की निजी जानकारी सुरक्षित है.