नई दिल्ली: भारत सरकार व्हॉट्सएप पर फेक न्यूज़ की अधिकता से परेशान है और इसे कम करने के तमाम उपायों पर गौर कर रही है. इसी सिलसिले में सरकार ने व्हॉट्सएप से आग्रह किया है कि वह एक ऐसा फीचर लेकर आए जो कि यूजर्स के द्वारा भेजे गए तमाम मैसेज का डिजिटल फिंगर प्रिंट ले. इस फीचर के आने के बाद यह पता करना आसान होगा कि मैसेज कहां से भेजा गया है और किसके पास डिलेवर हुआ है.


व्हॉट्सएप इंड टू इंड इनक्रिपशन पर काम करती है


बता दें कि वर्तमान में व्हॉट्सएप E2E (इंड टू इंड इनक्रिपशन) पर काम करती है. इस फीचर के रहने से इनवेस्टिंग एजेंसी को यह पता करने में दिक्कत होती है कि मैसेज कहां से भेजा गया है. यहां सरकार यह नहीं चाहती है कि व्हॉट्सएप अपने इंड टू इंड इनक्रिपशन को बंद कर दे बल्कि सरकार चाहती है कि इस फीचर के साथ ही डिजिटल फिंगरप्रिंट का फीचर भी इसमें जोड़ दें.

सरकार नहीं पढ़ पाएगी मैसेज

ऐसा नहीं है कि डिजिटल फिंगरप्रिंट के आ जाने के बाद यूजर्स के सारे मैसेज सरकार पढ़ पाएगी. सरकारी सूत्रों के मुताबिक सिर्फ पुलिस और लॉ इनफोर्समेंट एजेंसी जरूरत पड़ने पर इन मैसेरजो को देख पाएगी. इस समय किसी मैसेज को पढ़ने के लिए एजेंसी मेटा डेटा पर डिपेंडेंट है और इसके लिए फोन नंबर, प्रोफाइल पिक्चर, ग्रुप मेंबर नेम्स, लोकेशन, टाइम ऑफ चैट, आईपी अड्रेस की जरूरत पड़ती है.


ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में व्हॉट्सएप को लेकर नया कानून


ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में व्हॉट्सएप मैसेज को जरूरत पड़ने पर रीड करने के लिए विशेष कानून बनाए हैं. सिंगापुर पुलिस व्हॉट्सएप पर प्राइवेट चैट को मॉनिटर करती है जबकि ऑस्ट्रेलिया की पुलिस मैसेज इनक्रिपटेशन को बायपास कर सकती है.

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