नई दिल्लीः 131 करोड़ आबादी वाले देश भारत में इंटरनेट की पहुंच महज 26 फीसदी लोगों तक यानी 34 करोड़ है. जिनमें से लगभग 90 फीसदी लोग मोबाइल फोन की मदद से इंटरनेट एक्सेस करते हैं और उन तक 2G इंटरनेट की पहुंच है. भारत में इंटरनेट की जरुरत को देखते हुए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने सोमवार को अपना बेहद महत्वकांक्षी सैटेलाइट GSAT-19 लॉन्च किया. इस सैटेलाइट की मदद से भारत में इंटरनेट की स्पीड में तेजी आएगी. इससे भारत के डिजिटल इंडिया मुहिम को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा. नयी पीढ़ी का सबसे भारी रॉकेट GSLV मार्क-III D-1 को माना जाता है और इस सैटेलाइट को लेकर इस रॉकेट ने कल शाम श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेन्टर से सफलता के साथ लॉन्च किया गया.
इंटरनेट के साथ ही ये सैटेलाइट टीवी इंडस्ट्री में बड़ी क्रांति लाएगा. इससे देश को वायर कम्यूनिकेशन से छुटकारा और हम वायरलेस की दुनिया में और तेजी से आगे बढ़ेंगे. सरकार के स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया मुहिम के लिए ये एक ऐतिहासिक कदम है.
कम्यूनिकेशन की दुनिया में और भी बेहतरी के लिए GSAT-19 के अवाला इसरो GSAT-20, GSAT-11 भी आने वाले वक्त में लॉन्च करेगा. पहले भेजे गये उपग्रहों का प्रभावी डेटा जहां प्रति सेकेंड एक गीगाबाइट है, वहीं GSAT-19 से प्रति सेकेंड चार गीगाबाइट डेटा मिलेगा, जो इसे काफी अहम बनाता है. इसे देखते हुए ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में भारत इन सैटेलाइट की मदद से कम्यूनिकेशन की दुनिया में काफी आगे निकल जाएगा.
इससे पहले फरवरी महीने में PSLV-C37 की मदद से भारत ने 104 सैटेलाइट लॉन्च कर इतिहास बनाया था. इसके अलावा भारत ने मौसम की दिशा में योगदान के लिए दक्षिण एशियाई देशों को GSAT-9 सैटेलाइट लॉन्च कर तोहफा दिया था. इसरो के इस साल के ये दोनों ही कदम भारत के हौसले और भी बुलंद करते हैं.
क्या है GSAT-19
भारत में बना और प्रक्षेपित होने वाला सबसे बड़ा और भारी उपग्रह है और स्वदेश निर्मित लीथियम आयन बैटरियों से संचालित होगा. नये तरीके के मल्टीपल फ्रीक्वेंसी बीम (8 बीम) के इस्तेमाल से इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी बढ़ जायेगी. इनसे ऐसी इंटरनेट सेवाएं मिलेंगी, जैसे कि पहले कभी नहीं मिलीं.