नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम सप्लायर और दूसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन मेकर हुवावे अमेरिका के लगाए बैन की वजह से चर्चा में बनी हुई है. हुवावे पर ये बैन जासूसी के आरोपों के चलते लगा है. रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हुवावे के प्रोडक्ट्स के जरिए चीन बाकी देशों की जानकारियां इकट्ठा करता है. हालांकि हुवावे इस तरह के आरोपों पर सफाई देते हुए हमेशा ऐसी बातों से इंकार करता रहा है. हुवावे की सफाई के बावजूद अमेरिका ने 5G मोबाइल नेटवर्क के लिए उसके प्रोडक्ट इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी. इसके साथ ही अमेरिकन कंपनियों पर हुवावे के साथ काम ना करने के लिए वहां की सरकार दबाव डाल रही है. अमेरिका के बैन के बाद एंड्रायड का अधिकार रखने वाली कंपनी गूगल ने भी हुवावे पर भविष्य में एंड्रायड की कई सर्विस का इस्तेमाल करने पर रोक लगाई है.
मुश्किलों की शुरुआत
हुवावे के लिए असल मुश्किलों की शुरुआत फरवरी 2018 में हुई. फरवरी 2018 में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने हुवावे के स्मार्टफोन्स के जरिए चीन के जासूसी करने का शक जाहिर किया. इसके बाद जून 2018 में हुवावे को फेसबुक से डेटा के लिए स्पेशल एक्सेस मिलने की पुष्ठि हुई. फिर सितंबर 2018 हुवावे बेंचमार्क टेस्ट में धोखा करते हुए पाया गया. वहीं हुवावे ने कहा कि अमेरिकी टेक कंपनियां उसका मुकाबला नहीं कर पा रही हैं इसलिए उसके खिलाफ ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं.
इन सब के बाद अमेरिका ने यूके, जर्मनी जैसे देशों से 5G नेटवर्क के लिए हुवावे के प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं करने की अपील की. अप्रैल 2019 में सीआईए ने अपनी रिपोर्ट में हुवावे को चीनी सिक्योरिटी एजेंसी से फंड मिलने का दावा किया. मई 2019 में ट्रंप सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का एक ऑर्डर पास करते हुए हुवावे के प्रोडक्ट को पूरी तरह बैन करने का फैसला किया.
गूगल और हुवावे के बीच का विवाद
अमेरिकी सरकार के बैन के बाद मोबाइल ओपरेटिंग सिस्टम का अधिकार रखने वाली गूगल ने हुवावे को गूगल की ऐप्स और अपडेट देने पर रोक लगा दी. हालांकि गूगल ने साफ किया कि जो लोग पहले से हुवावे के स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें गूगल ऐप्स के अपडेट मिलते रहेंगे.
अब भविष्य में हुवावे के जो भी स्मार्टफोन आएंगे, उनके गूगल की तरफ से प्ले स्टोर, Gmail जैसे आधिकारिक ऐप्स नहीं होंगी. गूगल ने हुवावे पर इन ऐप्स का इस्तेमाल करने से रोक लगा दी है. इसके अलावा गूगल की तरफ से हुवावे के नए स्मार्टफोन्स में सिक्योरिटी पैच भी इश्यू नहीं किए जाएंगे. हुवावे के नए स्मार्टफोन में थर्ड पार्टी के जरिए गूगल की ऐप्स का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
हुवावे पर क्या होगा असर
गूगल के बैन की वजह से हुवावे को अपने ओपरेंटिग सिस्टम में बदलाव करना होगा. गूगल का लाइसेंस होने के चलते सभी एंड्रायड स्मार्टफोन्स में गूगल की ऐप्स पहले से ही प्रीइंस्टाल रहती हैं. पर इस बैन के बाद हुवावे के पास इन ऐप्स को अपने स्मार्टफोन में इस्तेमाल करने का लाइसेंस नहीं रहा है. हुवावे को अपनी ओपरेंटिग में बदलाव करने होंगे. लेकिन गूगल की ऐप्स पर यूजर्स की निर्भरता होने की वजह से हुवावे इस चुनौती से पार पाना काफी मुश्किल होगा. गूगल के बैन की वजह से यूजर्स का भरोसा हुवावे पर कम हो सकता है, क्योंकि स्मार्टफोन में मौजूद डेटा की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा खतरा हमेशा बना रहेगा. हुवावे साल 2018 में सैमसंग और एपल के बाद वर्ल्ड वाइड 13 फीसदी शेयर के साथ तीसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन बेचने वाली कंपनी बनी.
सर्च इंजन में गूगल का एकतरफा कब्जा
सर्च इंजन की मार्केट में गूगल का एकतरफा कब्जा है. वर्ल्डवाइड गूगल का इस्तेमाल 92.42 फीसदी किया जाता है. इसके बाद 2.61 के साथ Bing दूसरे और Yahoo 1.9 के शेयर के साथ तीसरे नंबर पर है.
गूगल ने 2005 में एंड्रायड के राइटस में खरीदा था. इसके बाद गूगल ने 2008 में एचटीसी के साथ मिलकर साथ मिलकर पहला एंड्रायड स्मार्टफोन लॉन्च किया. इसके बाद एंड्रायड ने कभी वापस मुड़कर नहीं देखा और वह देखते ही देखते दुनिया का नंबर 1 मोबाइल ओपरेटिंग सिस्टम बन गया.
इस वक्त दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाले स्मार्टफोन्स में से 74.85 फीसदी में एंड्रायड ओपरेटिंग का इस्तेमाल हो रहा है. इस मामले में एपल का iOS 22.94 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है. स्मार्टफोन बनाने वाली बड़ी कंपनियां सैमसंग, शाओमी, हुवावे, ओप्पो और वीवो सभी अपने फोन्स में एंड्रायड ऑपरेटिंग का ही इस्तेमाल करती हैं.
भारत पर असर
अभी तक हुवावे पर लगे बैन की वजह से भारत पर कोई खास फर्क पड़ने की जानकारी नहीं है, क्योंकि भारत सरकार ने हुवावे पर किसी तरह का बैन नहीं लगाया है. इसके साथ ही पहले से जो लोग भारत में हुवावे और उसकी सब ब्रांड हॉनर के फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें गूगल की सर्विस मिलती रहेंगी. लेकिन भारत में भी जो हुवावे और हॉनर के नए स्मार्टफोन लॉन्च होंगे, उनमें गूगल ऐप्स का सपोर्ट नहीं मिलेगा. इसके अलावा 5G सर्विस के टेलीकॉम प्रोडक्ट सप्लाई करने में हुवावे नंबर वन है. अगर भारत सरकार भी हुवावे पर बैन लगाती है, तो भारत में 5G सर्विस की शुरुआत में देरी हो सकती है और उसका खर्च भी काफी बढ़ जाएगा.