नई दिल्ली: आपके मोबाइल कनेक्शन को लेकर बड़ा एलान हुआ है. आइडिया सेल्यूलर ने आज वोडाफोन इंडिया और वोडाफोन मोबाइल सर्विसिज के साथ मिलकर देश की सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा कंपनी बनाने को मंजूरी दे दी. दोनों के मिलने से जो नई कंपनी बनेगी उसके ग्राहकों की संख्या 39.40 करोड़ तक होगी. इसके विलय के साथ ही ये दोनों कंपनियां देश की सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर बन जाएंगीं.
आइडिया ने अपनी तरफ से कहा है, ''कंपनी ने वोडफोन इंडिया लिमिटेड (वीआईएल) और इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली वोडाफोन मोबाइल सर्विसिज लिमिटेड (वीएमएसएल) के साथ एकीकरण को मंजूरी दे दी है.'' प्रस्तावित विलय संबंधित प्राधिकरणों से जरूरी मंजूरी मिलने के बाद आगे बढ़ेगा. इसके लिये सेबी, दूरसंचार विभाग और रिजर्व बैंक से मंजूरी लेनी होगी.
नियामक को भेजी गई जानकारी के मुताबिक, ''कंपनियों के एकीकरण के बाद वाआईएल के इंडस टावर्स लिमिटेड में किये गये निवेश को छोड़कर वीआईएल और वीएमएसएल का पूरा कारोबार, इसकी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क संपत्ति और सूचना प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म सभी नई कंपनी के तहत आ जायेगी.''
वोडाफोन इंडिया का कुल कारोबार 5,025 करोड़ रपये और वीएमएसएल का 40,378 करोड़ रपये है. आइडिया सेल्यूलर का कारोबार 36,000 करोड़ रपये है. जबकि वीआईएल की नेटवर्थ 12,855 करोड़ रपये, वीएमएसएल की 3,737 करोड़ रपये और आइडिया सेल्यूलर की 24,296 करोड़ रपये है.
विलय के मायने
नए स्वरूप में कंपनी के पास अब कुल 40 करोड़ ग्राहक होंगे और इस तरह बाजार की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत हो जाएगी. ग्राहकों के साथ ही रेवेन्यू में भी इसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत की हो जाएगी. इससे पहले ग्राहकों के आधार पर वोडाफोन दूसरे और आइडिया तीसरे स्थान पर थी. मर्जर के बाद कंपनी में वोडाफोन के पास 45% और 26 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.
विलय के बाद भी वोडाफोन और आइडिया ब्रांड दोनों ही अलग अलग चलते रहेंगे, क्योंकि दोनों ही काफी मजबूत ब्रांड हैं. विलय के बाद बनने वाली कंपनी पर दिसंबर 2016 की स्थिति के अनुसार 1,070 अरब रपये का शुद्ध कर्ज होगा.
बिड़ला ने कहा कि वोडाफोन की 4.9 प्रतिशत हिस्सेदारी :3,874 करोड़ रपये: खरीदने के लिये धन आइडिया से नहीं बल्कि प्रवर्तकों से आयेगा.
वोडाफोन सीईओ विटाोरियो कोलाओ ने कहा कि विलय से 10 अरब डालर की संभावित पूंजी एक साथ आयेगी. दूसरी ओर विलय के बाद आइडिया का आकार घटने को बिड़ला ने खारिज किया.
जियो इफेक्ट
हालांकि, दोनों कंपनियों के बीच बीते छह महीने से मर्जर की बातचीत चल रही थी, लेकिन इसे जियो इफेक्ट माना जा रहा है. क्योंकि जियो के आने के बाद टेलीकॉम सेक्टर में हाहाकार मचा हुआ है. दोनों कंपनियों को रिलायंस जियो से मुकाबले का डर सता रहा था. कंपनी को डर था कि कहीं जियो के कारण उनके ग्रहाकों की संख्या में भारी कम नहीं हो जाए.
साइड इफेक्ट
इस मर्जर का साइड इफेक्ट ये होगा कि 10 से 25 हज़ार लोगों की नौकरी जा सकती है. फिलहाल टेलीकॉम सेक्टर में तीन लाख लोग काम करते हैं.