नई दिल्लीः डेटा, निवेश, इंटरकनेक्शन इस्तेमाल शुल्क(आईयूसी) और दूरसंचान उद्योग पर वित्तीय भार और सरकारी नीति ऐसे मुद्दे रहे, जिनपर भारत मोबाइल कांग्रेस 2017 के पहले दिन चर्चा हुई. इस इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स भारती एयरटेल और आइडिया सेल्यूलर ने अपनी चिताओं से अवगत कराया, वहीं संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार दोबारा उद्योग को सहायता पहुंचाएगी.
सिन्हा ने पत्रकारों से कहा, "कुछ भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. सेक्टर का आगे-पीछे होना स्वाभाविक है. वर्ष 2000 में भी ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई थी."
उन्होंने कहा कि सरकार सेक्टर के दबाव से अवगत है, इससे पहले भी हमलोगों ने हस्तक्षेप किया था और अगर जरूरत पड़ी तो हम आगे भी ऐसा करेंगे.
मंत्री ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे की सेक्टर मरने न पाए."
इससे पहले आज दिन में आइडिया सेल्यूलर के सीईओ और एमडी हिमांशु कपानिया ने हाल ही में इंटरकनेक्शन इस्तेमाल शुल्क(आईयूसी) पर सवाल उठाया और दूरसंचार मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप कर उद्योग को इस वित्तीय मुसीबत से बाहर निकालने का आग्रह किया.
कपानिया ने कहा, "घोषित आईयूसी से असंतुलन पैदा होने के अलावा निवेश का फंड कम हो जाएगा. इससे सेक्टर के दीर्घकालिक वित्तीय संरचना पर असर पड़ेगा."
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने अपने नए नियम के मुताबिक आईयूसी की दरें 14 पैसे से घटाकर छह पैसे प्रति कॉल कर दी है. आईयूसी की दरें एक से अन्य दूरसंचार कंपनियों के नंबर पर सेवा लेने पर लागू होती हैं.
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने बुधवार को सभी दूरसंचार कंपनियों को एकसाथ आकर भारत के डिजिटल इंडिया अभियान में तेजी लाने का आह्वान किया और कहा कि सरकार की सही नीतियां देश में डिजिटीकरण की रफ्तार तय करेंगी."
मित्तल ने निवेश के बारे में कहा कि एयरटेल सितंबर तक 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.मित्तल ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ मिलकर एयरटेल भविष्य की प्रौद्योगिकी का निर्माण करेगी. "हमें उपभोक्ताओं के फायदे के लिए एकसाथ आना होगा."
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से भी दूरसंचार क्षेत्र की समकालीन जरूरतों को समझने और ज्यादा फाइबर एवं इमारत टॉवर को लगाने में मदद का आग्रह किया.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि 1.3 अरब भारतीयों को सशक्त बनाने की नींव रखने के लिए दूरसंचार और आईटी उद्योग एक साथ आ रहे हैं, और इसके जरिए भारत चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करेगा.
राजधानी में भारत के पहले 'इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2017' में अंबानी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अद्वितीय रूप से बढ़ी है और अगले 10 सालों में यह वर्तमान में ढाई खरब डॉलर से बढ़कर सात खरब डॉलर तक पहुंच जाएगी, जहां डिजिटीकरण में भारतीय दूरसंचार और आईटी उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
उन्होंने कहा, "डेटा नया ईंधन है और भारत को इसे आयात करने की जरूरत नहीं है. हम इसमें काफी आगे बढ़ गए हैं. यह करोड़ों भारतीयों के लिए नए अवसर और समृद्धि का रास्ता खोलेगा. एक देश के नाते हम तीन औद्योगिक क्रांति से चूक गए. वहीं चौथे औद्योगिक क्रांति जो कि कनेक्टिविटी, डेटा और कृत्रिम होशियारी से बने हैं, हम उसकी ओर बढ़ रहे हैं."
संचार मंत्री सिन्हा ने कहा कि जिस गति से डेटा खपत में लगातार वृद्धि हो रही है, दूरसंचार उद्योग 2017 के अंत तक 3,825 करोड़ डॉलर राजस्व वाला उद्योग बना सकता है. उन्होंने कहा कि इस तरह इस उद्योग की वर्ष 2014 से 2017 के बीच संयोजित वार्षिक वृद्धि दर(सीजीआर) 5.2 प्रतिशत होगी.
मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन भाषण में सिन्हा ने कहा, "पिछले चार वर्षो के दौर निवेश में 220 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पिछले 15 महीनों के दौरान ऑपरेटरों ने दो लाख टॉवर लगाए हैं."
सिन्हा ने कहा कि भारत दुनिया में दूरसंचार बाजार के क्षेत्र में 120 करोड़ दूरसंचार उपभोक्ताओं और 45 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं के साथ दूसरे स्थान पर है.
दूरसंचार उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 40 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगा.
मंत्री ने कहा, "पिछले कुछ वर्षो में सरकार ने अपना ध्यान प्रौद्योगिकी पर दिया है. सरकार ने नई दूरसंचार नीति के लिए पहले ही साझेदारों से बातचीत शुरू कर दी है. आईटी और दूरसंचार फिलहाल जीडीपी में 16.5 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं और इसके बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं."
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2018 के मुताबिक, वर्ष 2020 तक भारतीय दूरसंचार बाजार के 66 हजार करोड़ डॉलर को पार करने की संभावना है.
सिन्हा ने कहा कि सरकार व्यापार आसान बनाने के लिए कई कदम उठा रही है. वहीं सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री रविशंकर प्रसाद ने देश में मोबाइल विनिर्माण पर जोर दिया. प्रसाद ने डेटा सुरक्षा पर कहा, "हमें डेटा उपलब्धता, उपयोगिता और गोपनीयता और निजता को संतुलित करना होगा."