नई दिल्लीः व्हाट्सएप को लेकर सरकारी नियम बनाए जाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंज़ूर कर ली है. याचिका में व्हाट्सएप की तरफ से अपनी सहयोगी फेसबुक से उपभोक्ताओं की जानकारी शेयर करने का विरोध किया गया है. याचिकाकर्ता ने इसे निजता के अधिकार का हनन बताया है. क्या है व्हाट्सएप की ये पॉलिसी, क्यों मचा है इसे लेकर बवाल और क्या हो सकता है आगे इन सवालों के जवाब हम आपको दे रहे हैं.



मैसेजिंग सर्विस व्हाट्सएप अपने बेहतर इंटरफेज और डेटा प्राइवेसी के लिए जाना जाता है. 2016 साल की शुरुआत में कंपनी ने अपनी इंक्रीप्शन पॉलिसी लाकर अपने इस विश्वास को यूजर्स के बीच और मजबूत किया. लेकिन साल के अंत तक यूजर्स के नंबर अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक से शेयर करने के ऐलान के बाद व्हाट्सएप ने अपने यूजर्स को तगड़ा झटका दिया. इस कदम के पीछे कंपनी का कहना मानना है कि वह फेसबुक के जरिए यूजर्स को और भी ज्यादा टारगेटेड विज्ञापन और बेहतर फ्रेंड सजेशन देगा. हालांकि ये एड आपको व्हाट्सएप पर नहीं फेसबुक पर ही नजर आएंगे.


व्हाट्सएप अपने यूजर्स के डेटा प्राइवेसी के लिए कितना उत्तरदायी है ये तब सामने आया जब ब्राजील की एक कोर्ट के आदेश के बावजूद मैसेज ना शेयर करने पर इस एप को ब्राजील में बैन कर दिया गया. कंपनी ने इस अस्थाई बैन के आगे ना झुक कर दुनियाभर में अपने 1 बिलियन यूजर्स से खूब वाहवाही बटोरी.


आज से तीन साल पहले 2014 में जब फेसबुक ने व्हाट्सएप को खरीदा तो व्हाट्सएप ने अपने ब्लॉगपोस्ट के जरिए यूजर्स से ये बात साफ की थी कि इस अधिग्रहण के बाद भी व्हाट्सएप एक अगल और इंडिविजुअल बॉडी के तौर पर काम करेगी. यूजर्स का डेटा , कॉन्टैक्ट नंबर सब कुछ व्हाट्सएप के पास सुरक्षित होगा कंपनी इसे किसी से शेयर नहीं करेगी. लेकिन बीते दिन किए गए ऐलान के बाद कंपनी का ये दावा भी झूठा सा लगता है.




सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
2016 में लागू नयी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत व्हाट्सऐप फेसबुक के साथ कंज़्युमर डेटा शेयर करता है. याचिकाकर्ता का कहना था कि इससे न सिर्फ उपभोक्ता का ब्यौरा, बल्कि उसकी निजी बातचीत भी गलत हाथों में जा सकती है.


सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस जे एस खेहर और डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच याचिका पर सहमत नज़र नहीं आयी. जस्टिस खेहर ने कहा, “ये एक निजी सेवा है. इसके अपने नियम हैं. जिसे पसंद है, इस्तेमाल करे. न पसंद हो तो छोड़ दे.”


बेंच ने कहा, “टेलीकॉम सेवा के लिए उपभोक्ता पैसे देता है. लेकिन ये मैसेजिंग सर्विस मुफ्त है. क्या मुफ्त की चीज़ का इस्तेमाल करते हुए कोई निजता के अधिकार का दावा कर सकता है?” याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे लगभग 20 मिनट तक कोर्ट के सामने दलीलें रखते रहे. उन्होंने ऑनलाइन मैसेजिंग सेवाओं के लिए सरकारी नियम को ज़रूरी बताया.



क्या-क्या हो सकता है शेयर?
यूं तो व्हाट्सएप ने यही कहा है कि वह फेसबुक से कस्टमर्स का नंबर साझा करेगा लेकिन इस नंबर के साथ -साथ आपकी क्या-क्या डिटेल शेयर हो सकती हैं ये हम आपको बता रहे हैं. इस स्वाइपिंग से आपका प्रोफाइल फोटो, स्टेटस, कॉन्टैक्ट डिटेल, पर्सनल मेल आईडी, कॉन्टैक्ट लिस्ट, ब्राउजर डिटेल, हार्डवेयर नंबर और डिटेल जैसी चीजें फेसबुक से शेयर की जा सकती हैं.


क्या ये कानूनी तौर पर जायज है?
इस मामले पर डिजिटल प्लेटफॉर्म के जानकारों की मानें तो व्हाट्सएप अपने यूजर्स को इस पॉलिसी के बारे में सूचित करके ऐसा कर सकता है. कंपनी का ये कदम कानूनी तौर पर गलत नहीं होगा लेकिन अगर इस बदलाव से पहले यूजर्स को इस बारे में जानकारी नहीं दी जाती तो इसे गैरकानूनी कदम माना जा सकता था. इस बदलाव के लिए कंपनी अपने यूजर्स को नोटिफेकशन भेजेगी साथ ही उन्हें उसे चुनने का वक्त भी दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के वक्त भी चीफ जस्टिस खेहर ने कहा कि “ये एक निजी सेवा है. इसके अपने नियम हैं. जिसे पसंद है, इस्तेमाल करे. न पसंद हो तो छोड़ दे.” लेकिन याचिकाकर्ता के पक्ष के वकील की दलीलों पर बेंच इस मामले पर चर्चा के लिए तैयार हुई. अब इस सवाल का जवाब सुप्रीम कोर्ट ही देगा.


कमर्शियल इस्तेमाल
19 बिलियन डॉलर में व्हाट्सएप और फेसबुक के बीच हुई इस डील में शुरुआती दिनों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया लेकिन अब कंपनी अपने कमर्शियल इस्तेमाल पर जोर देने की ओर बढ़ रही है. हालांकि कंपनी के ब्लागपोस्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि व्हाट्सएप पर एडवरटाइजिंग का इस्तेमाल किया जाएगा या नहीं लेकिन जिस तरह कंपनी ने अपने ऐलान से सबको चौंकाया है ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही कंपनी अपने एप में भी एड प्लेटफॉर्म को जगह दे सकती है.