नई दिल्ली: भारत दुनिया के उन देशों में शुमार है, जहां मोबाइल फोन यूज़र्स की संख्या सबसे ज्यादा है. इंटरनेट सस्ता होने की वजह से अब हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है. इसके अलावा स्टाइल स्टेटमेंट को मेनटेन करने के लिए भी भारतीय युवा महंगे से महंगा फोन अपने हाथ में रखना चाहते हैं. ऐसे में यूजर्स के सामने एक सबसे बड़ी समस्या फोन के टूटने, चोरी होने या खो जाने की आती है. इस तरह के हादसे की वजह से यूज़र्स को तगड़ा नुकसान हो सकता है. लेकिन अगर आप अपने फोन का इंश्योरेंस करवा लें तो ऐसे हादसे होने पर भी आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.


क्या होता है मोबाइल इंश्योरेंस और कैसे ले सकते हैं?
कई लोगों के ज़हन में ये सवाल होगा कि मोबाइल इंश्योरेंस क्या होता है और इसे कैसे ले सकते हैं? तो आपको बता दें कि मोबाइल इंश्योरेंस भी आपके लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, कार इंश्योरेंस आदि की तरह ही होता है. इसमें आप अपने फोन का किसी कंपनी से इंश्योरेंस करवाते हैं, जिसके लिए कंपनी आपसे एक तय रकम (प्रीमियम) लेती है और उसके बदले आपके फोन को सुरक्षा प्रदान करती है. जैसे अगर फोन खो जाए, चोरी हो जाए या डैमेज वगैरह हो जाए, तो कंपनी आपको ऐसी स्थिति में भुगतान करेगी.


अगर आप भी अपने नए फोन के लिए मोबाइल इंश्योरेंस लेने की सोच रहे हैं तो याद रखें कि इसे फोन खरीदने के पांच दिन के अंदर ही ले सकते हैं. आमतौर पर इंश्योरेंस कंपनियां फोन का एक साल का ही इंश्योरेंस करती हैं. अगर उससे ज्यादा का करवाते हैं तो वो एक्सटेनडेंट वारंटी होता है. आप इंटरनेट पर जाएंगे तो आपको मोबाइल इंश्योरेंस करने वाली दर्जनों कंपनियां मिल जाएंगी. आप अपनी सुविधानुसार कंपनी का चुनाव कर सकते हैं.


क्या होगी कीमत?
इंश्योरेंस कितने का मिलेगा यानी आपको अपने फोन का इंश्योरेंस कराने के लिए कितना प्रीमियम भरना होगा ये आपके फोन के कीमत पर निर्भर करता है. जितना महंगा फोन होगा प्रीमियम उतना ही ज्यादा होगा. मान लीजिए आपका फोन 6 हज़ार से 10 हज़ार के बीच है तो प्रीमियम 600 से 700 के बीच हो सकता है. ऐसे ही अगर फोन 50 हज़ार से 70 हज़ार तक का है तो प्रीमियम 3000 तक का हो सकता है. हालांकि आप इंश्योरेंस लेते वक्त सभी कंपनियों के प्रीमियम की तुलना कर सकते हैं और आपने हिसाब से इसे ले सकते हैं.


कैसे करें क्लेम?
अगर आपका फोन चोरी हो जाता है, डैमेज हो जाता है या खो जाता है तो आपको अपनी कंपनी को मोबाइले से जुड़े प्रूफ देने होंगे. जिनमें फोन का बिल, सिम ब्लॉक कराना होगा, एफआईआर की कॉपी देनी होगी और फोन का सीरिलयल नंबर भी देना होगा. ये तमाम चीज़ें इंश्योरेंस कंपनी को देनी होंगी, जिसके आगे की प्रक्रिया शुरू होगी और आपको अपना क्लेम मिलेगा. ध्यान रखें कि फोन के साथ अनहोनी के 15 दिन के अंदर ही आपको क्लेम का सारा काम कर देना.