न्यूयॉर्कः लॉकी रैंसमवेयर के फिर से उभरने और ईमेल को बाधित करने के अभियान के बीच इसे वर्ष 2017 का सबसे बड़ा मैलवेयर अभियान कहा गया है. जेडनेट डॉट कॉम के मुताबिक, जिस रैंसमवेयर हमले को खत्म मान लिया गया था अब फिर से इसके खतरे बरकरार हैं और यह इससे साबित होता है कि 28 अगस्त को मात्र 24 घंटे के अंदर अमेरिका में करीब 23 लाख ईमेल मालवेयर भेजे गए.
इन मेल में सब्जेक्ट के तौर पर 'कृपया प्रिंट करें', 'दस्तावेज' और 'स्कैन' लिख कर भेजा गया था. अमेरिका स्थित साइबर सिक्युरिटी फर्म एपरिवर ने इस मैलवेयर का खुलासा करते हुए कहा कि यह 2017 का सबसे बड़ा मैलवेयर अभियान है.
बताया गया कि मैलवेयर पेलोड एक जिप फाइल में विजुअल बेसिक स्क्रिप्ट (वीबीएस) फाइल में छुपा हुआ था, जिसे एक बार क्लिक करने पर, लॉकी रैन्समवेयर का नया वर्जन डाउनलोड हो जाएगा.
पीड़ितों को उनकी फाइल वापस पाने के लिए 'लॉकी डिक्रिप्टर' के रूप में 'खास सॉ़फ्टवेयर' के भुगतान के लिए 0.5 बिटकॉइन (2,300 डॉलर) की मांग करने वाला एक फिरौती नोट प्रस्तुत किया जाता है. टोर ब्राउजर को डाउनलोड और इंस्टॉल करने के साथ-साथ बिटकॉइन में भुगतान की मांग की जाती है.
इस साल की शुरुआत में, मई से शुरू हुए वान्ना क्राई, माम्बा और पेटिया से जुड़े समन्वित रैंसमवेयर हमले हुए जो कि दुनियाभर के व्यवसायों के लिए आंखें खोलने वाला था. लॉकी रैनसमवेयर के भारत में आने की आशंका के मद्देनजर केंद्र सरकार ने शनिवार को देश भर के उपयोगकर्ताओं को इससे सतर्क रहने की चेतावनी दी है.
भारतीय कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (आईसीईआरटी) के मुताबिक, 'स्पैम मेल्स' का इस्तेमाल रैंसमवेयर को फैलाने के लिए किया जा रहा है. एजेंसी ने सभी उपयोगकर्ताओं को मेल खोलते समय सावधानी बरतने और संदिग्ध फाइल संलग्नक से बचने की हिदायत दी है इसकेसाथ-साथ संगठनों को स्पैम ब्लॉक सूचियों और स्पैम अवरोधों को अपडेट करने के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.