नई दिल्लीः तेजी से पॉपुलर हो रही टिक-टॉक एप के चाहने वालों के लिए बड़ी खबर है. मद्रास हाई कोर्ट ने टिक-टॉक एप को बैन करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मीडिया को इस एप द्वारा बने वीडियो का प्रसारण करने पर भी मनाही लगा दी है. टिक-टॉक एप के ज़रिए बच्चे पोर्नोग्राफी और आपत्तिजनक कंटेंट तक आसानी से पहुंच रहे थे, जिसके चलते ये कदम लिया गया है.


मद्रास हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में जस्टिस एन और जस्टिस एसएस सुंदर ने मीडिया संस्थानों को अंतरिम आदेश जारी करते हुए निर्देश दिए हैं कि टिक-टॉक मोबाइल एप के जरिए बने हुए वीडियो को टेलीकास्ट न किया जाए. इसके साथ ही केंद्र सरकार से भी इस बात का जवाब मांगा है कि क्या अमेरिका जैसा चिल्ड्रन्स ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट को भारत में भी लाया जा सकता है या नहीं?


मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि टिक-टॉक एप इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर युवा और किशोर वर्ग के लोग हैं जिसके वो आदी होते जा रहे हैं. टिक-टॉक एप और इसके जैसे और और एप्स या साइबर गेम्स के जरिए किशोरों का भविष्य और बच्चों का बाल मन बर्बाद हो रहा है. इस एप के खिलाफ जो याचिका दायर की गई है उस पर 16 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.


टिक-टॉक, जिसे चीन में डॉयइन के रूप में भी जाना जाता है, शॉर्ट वीडियो बनाने और साझा करने के लिए एक मीडिया ऐप है. बाइटडांस के स्वामित्व में, मीडिया एप को सितंबर 2016 में चीन में ड्यूइन के रूप में लॉन्च किया गया था और एक साल बाद टिक-टॉक के रूप में विदेशी बाजार में पेश किया गया था.


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