ICU यानि इंटेंसिव केयर यूनिट अस्पताल का सबसे सेंसेटिव वार्ड होता है, जहां सीरियस पेशेंट्स का इलाज किया जाता है. इस वार्ड में न जानें कितनी मशीनें मरीज के ट्रीटमेंट के लिए लगाई जाती हैं. साथ ही मरीज को हर तरह के बैक्टीरिया से भी बचाया जाता है जिससे मरीज जल्दी ठीक हो सके. लेकिन स्मार्टफोन के जरिए आईसीयू में कई तरह के बैक्टीरिया जा सकते हैं, डॉक्टर्स भी इस वार्ड में मोबाइल फोन न ले जानें के लिए कहते हैं. आइए जानते हैं इससे मरीज को और क्या नुकसान हो सकता है.  


होता है ये नुकसान
एक रिसर्च के मुताबिक अस्पतालों के ICU में मोबाइल ले जाना या उसका इस्तेमाल मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. लिहाजा डॉक्टर्स और दूसरे लोगों को ICU में मोबाइल ले जाने पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए. इस रिसर्च में 100 में से 56 डॉक्टरों के मोबाइल फोन के की-पैड में बैक्टीरिया और वायरस पाए गए. इनमें कई तरह के हानिकारक बैक्टीरिया थे और डराने वाली बात ये थी कि ज्यादातर बैक्टीरिया एंटी बायोटिक दवाओं से लड़ने की क्षमता बढ़ा चुके थे यानि उनपर कई एंटीबायोटिक दवाएं भी बेअसर थीं.


क्या कहते हैं नतीजे
रिसर्च में पता चला कि मोबाइल के इस्तेमाल के दौरान हाथों की गंदगी, पसीना की-पैड में जमता रहता है और बातचीत के दौरान मुंह से लार के छींटे मोबाइल पर गिरते हैं, जिससे बैक्टीरिया और वायरस को मोबाइल कीपैड और उसके गैप आराम से पनपने का मौका मिल जाता है. अगर हम अपने मोबाइल की-पैड को साफ नहीं करते तो बैक्टीरिया-वायरस के मामले में धीरे-धीरे ये टॉयलेट की सीट से भी ज्यादा गंदा हो जाता है. यही वजह है कि ICU में भर्ती मरीजों के लिये कोई भी मोबाइल बड़ा खतरा साबित हो सकता है.


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