नई दिल्लीः बीते दिनों केंद्र सरकार ने सभी मोबाइल यूजर्स को अपना मोबाइल नंबर आधार से लिंक करने को कहा था. सरकारी संस्था UIDAI ने अपने सर्कुलर में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ने मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करने की बात कही है और मार्च 2017 तक सभी मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना जरुरी हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कोर्ट ने कभी मोबाइल को आधार नंबर से लिंक करने की बात नहीं कही.
SC के आदेश को गलत तरीके से पेश किया
चीफ न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि ‘लोकनीति फाउंडेशन’ की पीआईएल पर उसके आदेश में कहा गया था कि मोबाइल के यूजर्स को राष्ट्र सुरक्षा के हित में वैरिफाई करने की जरुरत है. सुप्रीम कोर्ट ने ये कभी ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया लेकिन सरकार ने इसे मोबाइल यूजर्स के लिए अनिवार्य करने की बात कही. 6 फरवरी 2017 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से लोगों के सामने पेश किया गया.
यूआईडीएआई का कोर्ट में पक्ष रख रहे सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि दूरसंचार विभाग की अधिसूचना ई-केवाईसी प्रक्रिया के प्रयोग से मोबाइल फोनों के पुन: सत्यापन की बात करती है और टेलीग्राफ कानून सेवाप्रदाताओं की ‘लाइसेंस स्थितियों पर फैसले के लिए केन्द्र सरकार को विशेष शक्तियां’ देता है.
इसके जवाब में जजों की पीठ ने कहा कि ये नियम टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच लागू होता है. इसके लिए सर्विस लेने वाले यूजर्स को इस शर्त के साथ मजबूर नहीं किया जा सकता.
13 मार्च को SC ने मोबाइल-आधार लिंकिंग को टाला
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मार्च को आधार से मोबाइल नंबर लिंक कराने की डेडलाइन (आखिरी तारीख) अनिश्चित वक्त तक टाल दी थी. इससे पहले सरकार की ओर से सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए सभी यूजर्स का मोबाइल नंबर लिंक करने की तारीख 31 मार्च 2018 रखी गई थी.