Google Chrome की मदद से अब आप जान पाऐंगे की आपके लिए कौन सी वेबासाइट्स हैं खतरनाक?
HTTP की सिक्यूरिटी फिल्हाल बहुत कमजोर है जिसे आसानी से हैक भी किया जा सकता है. इसी की कमी को पूरा करने के लिए HTTPC लाया जा रहा है जिसका मतलब हाइपर टेक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल सिक्योर. आपको बता दें कि ये HTTP का नया वर्जन है.
नई दिल्ली: इंटरनेट की दुनिया में एक तरफ जहां यूजर्स के डेटा को लेकर नए तरह के प्राइवेसी नियम लाए जा रहे हैं तो वहीं अब वेबसाइट्स को लेकर भी गूगल क्रोम ने कदम उठाना शुरू कर दिया. इंटरनेट पर ब्राउज करते समय हमें कई ऐसी वेबसाइट्स का सामना करना पड़ता है जो खतरनाक के साथ आपके उस टैब को भी हैंग कर देती जिसका इस्तेमाल आप उस समय कर रहे होते हैं. इसके लिए गूगल क्रोम एक नया तरीका लेकर आया है. आपको बता दें कि क्रोम ब्राउजर यूआरएल के शुरूआत में HTTPS वाले लिंक को हटाने जा रहा है. तो वहीं इसकी जगह वो एक दूसरा फीचर ला रहा है. अब इसके बदले यूजर्स के लिए HTTPC लाया जा रहा है.
क्या होता है HTTPS?
HTTP की सिक्यूरिटी फिल्हाल बहुत कमजोर है जिसे आसानी से हैक भी किया जा सकता है. इसी की कमी को पूरा करने के लिए HTTPC लाया जा रहा है जिसका मतलब हाइपर टेक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल सिक्योर. आपको बता दें कि ये HTTP का नया वर्जन है.
गूगल क्रोम की सिक्योरिटी प्रोडक्ट मैनेजर एमिली चेस्टर ने कहा कि, गूगल क्रोम का अपडेट वर्जन क्रोम 69 है. इसमें यूआरएल बार के पास लिखा आना वाला HTTPS बंद हो जाएगा. HTTPS सिक्योर वेबसाइट के लिए लिखा आता था लेकिन नए अपडेट में यह आना बंद हो जाएगा. इसके स्थान पर असुरक्षित वेबसाइट के लिए लाल रंग में Not Secure लिखा आने लगेगा, जिससे यूजर को ये पता चल जाए कि जो वेबसाइट वो खोल रहे हैं वो उनके लिए खतरनाक है. आपको बता दें कि इस वर्जन को इसी साल सितंबर में पेश किया जाएगा