ओला ने यह सिस्टम मंगलवार को बेंगलुरू, मुंबई और पुणे में पायलट प्रोजेक्ट 'गार्जियन' के तहत लांच किया. यह सिस्टम ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निग टूल्स पर आधारित है, जिसकी शुरुआत दिल्ली और कोलकाता में अक्टूबर से की जाएगी और देश के अन्य शहरों में इस साल के अंत से की जाएगी. गार्जियन परियोजना के तहत, सभी ट्रिप्स की एआई-संचालित प्रणाली से निगरानी की जाएगी तथा रूट बदलने, अप्रत्याशित रूप से बीच में ट्रिप को रोकने जैसे चीजों का विश्लेषण किया जाएगा.
बता दें कि इससे पहले कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जब राइड मुहैया करानेवाली कंपनियों के ड्राइवरों ने सुनसान रास्ते पर ले जाकर महिला सवारियों से छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दिया है. इसको लेकर अब ओला काफी सतर्क हो गया है जहां ऐसी कोई भी घटना को लेकर ओला की सेफ्टी रिस्पांस टीम यानी की एसआरटी तैयार रहेगी.
'स्ट्रीट सेफ' के हिस्से के रूप में ओला अपने प्लेटफार्म पर ड्राइवर की जगह किसे दूसरे व्यक्ति के जरिए गाड़ी के चलाने की समस्या का हल निकाल रही और उसपर फिलहाल काम कर रही है. कंपनी के उपाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल ने कहा, ओला एप को अपडेट भी कर दिया गया है और अब इसमें ड्राइवर-भागीदारों के बड़े फोटो शामिल किए जाएंगे, ताकि ग्राहक उनकी प्रामाणिकता को सत्यापित कर सकें और वास्तविक ड्राइवर के स्थान पर ड्राइवर बनने वाले व्यक्तियों की रिपोर्ट कर सकें.
उन्होंने कहा कि ओला हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर ऑफलाइन ऑडिट जांच की शुरुआत करेगी. प्रशिक्षित ऑडिट टीम न केवल ड्राइवर-भागीदारों को प्रमाणित करेगी, बल्कि कार की दशा की भी जांच करेगी. हैदराबाद और बेंगलुरू एयरपोर्ट पर इस परियोजना की सबसे पहले शुरूआत की जाएगी.