नई दिल्ली: समय के साथ बदलाव प्रकृति का नियम है. बदलते वक्त के साथ जो आज नया है वो कल पुराना हो जाता है..आज का वर्तमान कल एक इतिहास बन जाएगा. मशहूर शायर राजेश रेड्डी का शेर भी है, ''जो नया है वो पुराना होगा, जो पुराना है नया था पहले''. जो चीजें पुरानी हो जाती है वह यादों में शामिल हो जाती है. एक वक्त पर जिस चीज की धूम होती है वही चीज एक वक्त के बाद धूल बन जाती है. ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में आज हम बात करने वाले हैं जो एक वक्त पर हम सब के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी लेकिन आज उससे बेहतर विकल्प आ जाने के कारण या तो वह चीजें खत्म हो गई या फिर उसके इस्तेमाल में भारी कमी आ गई है.


1-कैसेट
कैसेट एक वक्त पर हर घर में होता था. कैसेट याद आते ही आज भी रेट्रो संगीत की यादें ताज़ा हो जाती है. कई घरों में सैकड़ों सगीतकारों के संगीत के कैसेट एक वक्त पर रखे रहते थे. आज ब्लूटूथ स्पीकर से लेकर एफएम रेडियो स्टेशन  तक गाने सुनने के कई विकल्आप लोगों के पास हैं. ऐसे वक्त में अब कैसेट धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं. इनका इस्तेमाल गिने-चुने लोग ही करते हैं.



Old Cassette Tapes

2-फैक्स
कैसेट के अलावा फैक्स मशीन भी एक ऐसी ही चीज है जो अब वक्त के धूल में खोती जा रही है. फैक्स मशीन एक भारी प्रिंटर होता है जो एक टेलीफोन से जुड़ा होता है. अब फैक्स कैसे काम करता है यह जान लेते है. इसमें दस्तावेज़ को पहले स्कैन किया जाता है और फिर टेलीफ़ोन लाइन के ज़रिये दूसरी फैक्स मशीन को भेजा जाता है. इसके बाद इसका प्रिंट निकाला जाता है. अब इसका चलन भी कम हो गया है.



3- चेकबुक
बैंक में इस्तेमाल होने वाली चेकबुक के इस्तेमाल में भी अब काफी कमी आ गई है. दरअसल डिजिटल भारत की दौर में अब लोग नेट बैंकिंग को ही एक अच्छा विकल्प मानने लगे हैं. ऐसे में चेकबुक के जरिए पैसे निकालना अब लगभग खत्म सा हो गया है. हालांकि कई लोग इसका इस्तामाल आज भी करते हैं.



4-पेजर


पेजर का क्रेज भी एक जमाने में बहुत ज्यादा था. हर कोई इसे अपने साथ लेकर चलता था. नब्बे के दशक में बहुत मशहूर हुआ था. मैसेज भेजने का त्वरित साधन था. इसमें एक निजी कोड होता था जिसे लोग दूसरे को देते और फिर दोनों के बीच कभी भी संदेश का आदान-प्रदान किया जा सकता था. मोबाइल फोन के आने से इसका वजूद खत्म हो गया.



5-रेडियो


रोडियो एक वक्त पर मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन होता था. ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में रेडियो हुआ करता था. इस पर संगीत और सामाचार पूरा परिवार एक साथ बैठकर सुना करता था. फिर टीवी के आ जाने से इसका चलन कम हो गया. आज गांव में लगभग हर घर में टीवी मौजूद है. रेडियो की जगह अब टीवी ने ले ली है.



6-ब्लैक एंड वाइट टीवी


ब्लैक एंड वाइट टीवी का भी दौर अब खत्म हो गया हैं. रंगीन टीवी के आ जाने और सस्ते दामों पर बाजार में उपलब्ध होने के कारण अब ब्लैक एंड वाइट टीवी का दौर खत्म हो गया है. अब घरों में रंगीन टीवी आ गई है.



7-पोस्ट आफिस जाना, खत लिखने का दौर खत्म


आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक डाक विभाग ने साल 2017-18 में डाक टिकट बेचकर 366.69 करोड़ रुपये कमाए थे. लेकिन साल 2018-19 में ये राशि पिछले साल के मुकाबले 78.66 प्रतिशत घटकर 78.25 करोड़ रुपये ही रह गई. इससे साफ पता चलता है कि अब डाक विभाग का इस्तेमाल लोगों ने काफी कम कर दिया है. वाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया की लोकप्रियता के कारण अब खतों का सिलसिला बंद हो गया है. एक वक्त पर लोगों को डाकिए का इंतजार रहता था. वह घंटों लाइन में लगकर पोस्ट ऑफिस में खत लेने और देने जाते थे.



8- लैंडलाइन फोन


पहले मोबाइल और फिर बाद में तकनीक से भरपूर स्मार्ट फोन के आ जाने की वजह से अब घरों में लैंडलाइन फोन रखने का दौर खत्म हो गया. एक दौर था जब घर के किसी कोने में एक लैंडलाइन फोन जरूर होता था. उसकी घंटी बजते ही लोग जहां भी होते थे दौड़कर फोन उठाते थे. अब इसका ज्यादातर इस्तेमाल ऑफिस में ही होता है.