नई दिल्ली: रिलायंस जियो और दूसरे टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बीच छीड़ी जंग थमने का नाम ही नहीं ले रही है. तो वहीं अब रिलायंस जियो ने एक और नया धमाका किया है. रिलायंस जियो ने तमाम टेलीकॉम कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए मार्च के महीने में रिकॉर्ड तोड़ 92 लाख सब्सक्राइबर्स को अपने साथ जोड़ा है. आपको बता दें रिलायंस जियो लगातार नए टैरिफ प्लान्स को लॉन्च कर दूसरी टेलीकॉम कंपनियों को पीछे छोड़ रहा है तो वहीं दूसरी टेलीकॉम कंपनियां भी रिलायंस के टक्कर में रोजाना नए प्लान लॉन्च कर रही है. इसमें सबसे आगे एयरटेल और वोडाफोन हैं.


रिलायंस ने जोड़े 92 लाख सब्सक्राइबर्स


टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने मार्च महीने में 94 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर जोड़े. जबकि भारती एयरटेल ने 84 लाख और आइडिया सेलुलर ने 91 लाख सब्सक्राइबर जोड़े. वहीं वोडाफोन इंडिया करीब 56 लाख नए सब्सक्राइबर जोड़ने में कामयाब रही. रिलायंस जियोफोन भी देश का सबसे ज्यादा बिकने वाला फीचर फोन बन गया है.


एयरटेल, आइडिया और वोडाफोन के आंकड़े


एयरटेल के मुकाबले आइडिया सेलुलर के यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना है, क्योंकि आइडिया ने कम कीमत में ज्यादा डेटा की पेशकश वाले नए टैरिफ लॉन्च किए हैं. इसके अलावा यूजर बेस में बढोतरी इसलिए भी हो सकती है, क्योंकि आइडिया और वोडाफोन के विलय के संकेत भी मिल रहे हैं.
मार्केट में आइडिया की करीब 17.8 फीसदी की हिस्सेदारी है, उसके पास करीब 21.1 करोड़ का यूजर बेस है. वहीं वोडाफोन इंडिया के पास 22.2 करोड़ सब्सक्राइबर हैं और मार्केट में 18.7 फीसदी की हिस्सेदारी है.


आपको बता दें कि सुनील मित्तल की कंपनी एयरटेल के पास 30.2 करोड़ सब्सक्राबर हैं. वहीं जियो की मार्केट में 15.7 फीसदी की हिस्सेदारी है, उसके पास करबी 18.5 करोड़ सब्सक्राइबर हैं.


वहीं अगर फिक्सड लाइन सेवा की बात करें तो बीएसएनएल के पास सबसे ज्यादा 12 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. तो वहीं सब्सक्राइबर्स के मामले में बीएसएनएल ने अपने तकरीबन 5000 कस्टमर्स का भी नुकसान हुआ है. अगर वोडाफोन की बात की जाए तो वोडाफोन के कुल 12 हजार फिक्सड लाइन सबस्क्राइबर्स हैं.


इस महीने में भारत के अगर कुल सब्सक्राइबर की अगर बात करें तो 1 करोड़ का आंकड़ा पार हो चुका है. जिसमें टेलीफोन यूजर्स में 1,206.22 लाख लोग मार्च के महीने में जुड़े हैं. ट्राई के अनुसार इसकी वजह से विकास दर में 2.24 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.