जियो का एयरटेल- Ookla पर बड़ा आरोप, 'fastest network’ का खिताब है झूठा!
नई दिल्लीः रिलायंस जियो और एयरटेल के बीच विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. अब जियो ने एडवरटाइंजिग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया यानी एएससीआई से अपील की है कि वो एय़रटेल को सबसे तेज इंटरनेट वाला भ्रामक विज्ञापन हटाने के आदेश दे. साथ ही एयरटेल जिस एजेंसी के सर्वे के आधार पर अपना नेटवर्क सबसे तेज बता रही है, उस एजेंसी ओउक्ला (Ookla) को कानूनी नोटिस जारी किया है. जियो का ये भी कहना है कि Ookla एक व्यावसायिक संगठन है और पैसे लेकर अवार्ड देती है. सरकार की ओर से उसे कोई मान्यता नहीं मिली हुई है.
वहीं एयरटेल ने कहा कि ब्रांडबैंड टेस्टिंग और वेब बेस्ड नेटवर्क डॉयगोनिस्टक एप्लिकेशन में Ookla दुनिया की अग्रणी कंपनी है और उसने एयरटेल को भारत का सबसे तेज नेटवर्क कहा है. इसका विज्ञापन में भी साफ तौर पर जिक्र है. कंपनी ये भी कह रही है कि ग्राहकों ने Ookla के स्पीडटेस्ट एप के जरिए इंटरनेट की गति जांची और इन्ही जांच के विश्लेषण के आधार पर Ookla ने अपने नतीजे सामने रखे. एय़रटेल का दावा है कि नतीजों में कनेक्शन टेक्नोलॉजी के इतर सभी मोबाइल टेस्ट को शामिल किया गया.
जियो ने अपनी चिट्ठी मे एय़रटेल की वेबसाइट पर पेश किए दावे का जिक्र किया है जिसमे कहा गया है कि वो ‘Officially the fastest network’ यानी आधिकारिक तौर पर सबसे तेज नेटवर्क है. जियो का कहना है कि एयरटेल का दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है.
जियो के मुताबिक, एयरटेल ने Ookla के साथ सांठ-गांठ कर जांच के नतीजे तैयार कराए. Ookla अपने आप को मोबाइल इंटरनेट की गति जांचने के मामले में विशेषज्ञ मानती हैं.
जियो का आगे कहना है कि एय़रटेल ने अपना विज्ञापन Ookla औऱ स्पीडटेस्ट डॉट नेट की ओर से दिए गए ‘India’s Fastest Mobile Carrier’ के अवार्ड को आधार बनाकर तैयार किया.
Ookla को भेजे कानूनी नोटिस में जियो का कहना है कि इंटरनेट की गति मापने वाली कंपनी ने अपनी प्रक्रिया में खामी की बात मानी है. जियो के मुताबिक, एयरटेल के नेटवर्क पर जिस गति की बात की जा रही है, हो सकता है कि वो उसकी हो ही नहीं.
आपको बता दें कि ये वही Ookla है जिसने 2016 की दूसरी और तीसरी तिमाही में रिलायंस जियो के नेटवर्क को सबसे तेज बताया था. जियो ने अपने दावे में यूट्यूब पर तीसरे पक्ष के उन वीडियो लिक्स का हवाला दिया है जिससे जाहिर होता है कि जिस नेटवर्क की गति दिखायी जा रही है वो जियो की है जबकि उसका श्रेय एयरटेल को दे दिया गया. Ookla को भेजे कानूनी नोटिस में दोषपूर्ण पड़ताल का ब्यौरा उसके साथ हुए मेल के आदान-प्रदान के आधार पर दिया गया है.
इसे ऐसे समझिए पड़ताल के नतीजे किसी भी हैंटसेट के मोबाइल कंट्री कोड या मोबाइल नेटवर्क के आधार पर तय होता है. यदि हैंडसेट दो सिम वाला है तो सिम का पहला खांचा प्राइमरी और दूसरा सेकेंडरी कहलाएगा. अब जब गति जांची जाएगी तो भले ही इसमे दूसरे सिम का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन उसके नतीजे पहले खांचे में डाले गए सिम के नाम जाएगा. अब यदि सिम के पहले खांचे मे एयरटेल का सिम है और दूसरे में जियो का तो नतीजे एयरटेल के नाम ही जाएंगे.
जियो का दावा है कि Ookla ने 18 अक्टूबर 2016 और 12 जनवरी 2017 को अपने भेजे ई मेल में पड़ताल में हुई गड़बड़ियों की बात मानी. देश में 4G आधारित 90 फीसदी मोबाइल हैंडसेट दो सिम वाले हैं. ऐसे में स्पीड की जांच के नतीजे भ्रामक और अविश्वसनीय होते हैं.
- कानूनी नोटिस में Ookla को कहा गया है कि6 अक्टूबर 2016 की अपनी रिपोर्ट हर जगह से हटाए.
- अपने वेबसाइट पर और हर संभावित जगह पर ये जानकारी दे कि 24 फरवरी 2017 को एयरटेल को दिया गया फास्टेस्ट मोबाइल कैरियर का खिबात पूरी तरह से गलत है और उसे रद्द किया जाता है.
- भारती एयरटेल को पूरे वाकये की जानकारी दी जाए.
- देश के प्रमुख अखबारों में पहले पेज पर विज्ञापन देकर बताए कि भारती एयरटेल को सबसे तेज नेटवर्क का खिताब पूरी तरह से गलत है. लिहाजा उसे रद्द किया जा रहा है.
- देश के प्रमुख अखबारों में विज्ञापन के जरिए और अपने वेबसाइट पर बिना शर्त माफी मांगे.