नई दिल्ली: स्मार्टफोन की वैश्विक बिक्री वर्ष 2019 की पहली तिमाही में 2.7 प्रतिशत घटी है. इस साल कुल 37.3 करोड़ यूनिट की ब्रिकी हुई और अमेरिका में बैन होने के बावजूद हुवावे ने स्मार्टफोन सेलर के रूप में दुनिया नंबर-2 की रैंकिंग बनाए रखी है. 'गार्टनर डॉट कॉम' के अनुसार, हुवावे ने इसी के साथ पहले पायदान पर काबिज सैमसंग के साथ अपने अंतर को भी कम किया.


इस साल की पहली तिमाही में सैमसंग ने बाजार में 19.2 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करते हुए वैश्विक स्मार्टफोन की बिक्री में पहला स्थान बनाए रखा जबकि हुवावे ने दुनिया की शीर्ष पांच कम्पनियों में साल में सबसे अधिक वृद्धि हासिल की. हुवावे के कुल 5.84 करोड़ स्मार्टफोन बिके और उसने 44.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. गार्टनर के सीनियर रिसर्च डायरेक्टर अंशुल गुप्ता ने कहा, "बेसिक स्मार्टफोन्स की तुलना में प्रीमियम स्मार्टफोन्स की डिमांड कम रही, जिससे सैमसंग और एप्पल जैसे ब्रांड प्रभावित हुए, जिनकी हाई-एंड स्मार्टफोन्स में अधिक हिस्सेदारी है."


गुप्ता ने कहा, "इसके अलावा, यूटिलिटी स्मार्टफोन्स की मांग घट गई क्योंकि फीचर फोन से स्मार्टफोन में अपग्रेड करने की दर धीमी हो गई है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 4-जी फीचर फोन यूजर्स को कम कीमत पर बेहतरीन फायदे देते हैं." सबसे ज्यादा स्मार्टफोन बेचने वाले दो देश अमेरिका और चीन में 2019 की पहली तिमाही में बिक्री में कमी आई है. दोनों देशों में 15.8 और 3.2 फीसदी की गिरावट देखी गई. हालांकि, इन सभी क्षेत्रों में हुवावे के स्मार्टफोन की बिक्री बढ़ी है.


गुप्ता ने कहा, "हुवावे ने अपने दो सबसे बड़े क्षेत्रों, यूरोप और ग्रेटर चीन में विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन किया जहां उसके स्मार्टफोन की बिक्री में क्रमश: 69 प्रतिशत और 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई." गुप्ता ने बताया, "सैमसंग ने अपना फ्लैगशिप गैलेक्सी एस-10 स्मार्टफोन पोर्टफोलियो लॉन्च किया जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी. हालांकि, इसका प्रभाव सीमित था क्योंकि सैमसंग ने पहली तिमाही के अंत में केवल एस-10 की शिपिंग शुरू की थी."


उन्होंने कहा, "सैमसंग ने 'ए', 'जे' और 'एम' सीरीज के साथ अपने मिड-टायर एवं एंट्री-टायर के स्मार्टफोन रेंज को भी मजबूत किया, लेकिन चीनी निर्माताओं की आक्रामक प्रतिस्पर्धा के कारण इसका प्रभाव कम रहा." एप्पल के आई-फोन की ब्रिकी में 17.6 प्रतिशत की कमी आई है. पहली तिमाही में एपल कुल 4.46 करोड़ फोन ही बेच पाया.


गुप्ता ने कहा, "बाजारों में आई-फोन की कीमत में हुई कटौती ने मांग को बढ़ाने में मदद की, लेकिन पहली तिमाही में यह ब्रिकी को बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाई. एपल फिलहाल, लंबे रिप्लेसमेंट साइकल का सामना कर रहा है क्योंकि उपभोगताओं को अपने मौजूदा आई-फोन को बदलने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा."