नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी ई- कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट पर अब वॉलमॉर्ट ने कब्जा कर लिया है. अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने भारतीय ई कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर (लगभग 1,07,662 करोड़ रुपये) में खरीद ली है. एक तरफ एमेजन जहां फ्लिपकार्ट को GMV मार्केट शेयर 2017 में पछाड़ रहा था तो वहीं आनेवाले समय में एक बात तो तय थी कि एमेजन भारतीय कंपनी फ्लिपकार्ट को पीछे छोड़ देता.


लेकिन फ्लिपकार्ट के साथ सबकुछ ठीक हुआ और कंपनी को वॉलमॉर्ट ने खरीद लिया. बता दें कि इस डील के बाद फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल एक बिलियन डॉलर लेकर कंपनी छोड़ देंगे. सचिन और बिन्नी बंसल ने साथ मिलकर 2007 में कंपनी की शुरुआत की थी. इससे पहले दोनों दोस्त अमेजन में काम कर चुके थे.


फ्लिपकार्ट का 4 लाख से 1.40 लाख करोड़ तक का सफर


फ्लिपकार्ट की शुरुआत 2007 में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने सिर्फ 4 लाख रुपए से की थी. दोनों आईआईटी दिल्ली से बैचमेट थे और अमेजन में काम कर चुके थे. दोनों ने बेंगलुरू में 2बीएचके फ्लैट किराए पर लेकर ऑनलाइन किताबें बेचने से इसकी शुरूआत की थी. जब एमेजन अपना ऑनलाइन का व्यापार शुरू कर चुका था तब बिन्नी और सचिन ने उसी के आइडिया पर भारत में काम करना शुरू कर दिया था.


फ्लिपकार्ट के पहले कस्टमर वीवीके चंद्रा


कंपनी की एक छोटी सी शुरूआत के बाद जो पहला ऑर्डर दोनों को मिला था वो एक वीवीके चंद्रा नामक व्यक्ति द्वारा दिया गया था. चंद्रा को उस समय किताबें खरीदने के लिए 90 किमी दूर हैदराबाद जाना पड़ता था. चंद्रा एक टेक ब्लॉगर के रूप में काम करते थे और उनका घर महबूबनगर में था. अक्टूबर 2007 में एक ब्लाग लिखने के दौरान चंद्रा ने पाया कि एक 25 साल के युवक ने उनके ब्लॉग पर कमेंट किया है जिसमें एक वेबसाइट का लिंक दिया है जो flipkart.com था.


फ्लिपकार्ट के तीन महीनों के बीजनेस के दौरान कंपनी को एक हफ्ते में 8 से 10 ऑर्डर मिल जाते थे. लेकिन चौथे महीने के बाद सबकुछ बदल गया और अब दोनों को दिन के 8 से 10 ऑर्डर्स मिलने लगे. जिसके बाद महीने के साथ सबकुछ दोगुना होता चला गया. 2008 के अंत तक फ्लिपकार्ट को एक दिन में 100 ऑर्डर मिलने लगे.


इसके बाद फ्लिपकार्ट के लिए जैसे सबकुछ बदल गया. बेंगलुरू में पहला ऑफिस खोलने के बाद दूसरा ऑफिस दिल्ली में और तीसरा मुंबई में खोला गया ये बात 2009 की है. बीते साल ही फ्लिपकार्ट ने बेंगलुरू में ही 8.3 लाख स्क्वेयर फीट के नए कैम्पस में सारे ऑफिसेस को शिफ्ट में कर दिया है. लेकिन अब काम शुरू होने के बाद उसे बढ़ाने के लिए फ्लिपकार्ट को एक बड़ी रकम की जरूरत थी. 2011 में फ्लिपकार्ट ने सिंगापुर के इनवेस्टर्स को इनवाइट किया. जहां कंपनी में टाइगर ग्लोबर और सॉफ्टबैंक ने पैसा लगाया.


कंपनी की प्लानिंग और कैश ऑन डिलीवरी


कैश ऑन डिलेवरी ऑप्शन ने फ्लिपकार्ट की तस्वीर बदलकर रख दी थी. दरअसल, 2010 में सिर्फ 0.5% लोग ही ऐसे थे, जिनके पास क्रेडिट कार्ड होता था. कैश ऑन डिलेवरी ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो गई. क्योंकि लोग उस समय ऑनलाइन सामान मंगाने पर भरोसा नहीं करते थे. लोगों को लगता था कि सामान अगर खराब निकल गया तो पैसे भी जाएंगे. लेकिन फ्लिपकार्ट ने अपने इस भरोसे को कायम रखा जिसका नतीजा उसे अपने व्यापार में देखने को मिला. इसके बाद फ्लिपकार्ट एक और कदम आगे चला गया और छोटी बड़ी कंपनियों को खरीदना शुरू कर दिया जिसमें मिंत्रा और जबोंग जैसी कंपनियां शामिल थी.


वॉलमॉर्ट और फ्लिपकार्ट की साझेदारी


वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच हुए सौदे से भारत को लाभ होगा. ग्राहकों को अब और सस्ते दामों पर प्रोड्क्ट्स मिलेंगे. रोजगार मिलेगें. छोटे आपूर्तिकर्ताओं, किसानों और महिला उद्यमियों के लिए अवसर पैदा होंगे. फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिनी बंसल ने कहा, "हमारी यात्रा के अगले चरण के लिए वालमार्ट एक आदर्श सहयोगी है और हम खुदरा और ई-कॉमर्स में साथ मिलकर काम करेंगे."


फ्लिपकार्ट का भारत में फिलहाल 40 प्रतिशत ई कॉमर्स बाजार पर कब्जा है. फैशन, इलेक्ट्रॉनिक, मोबाइल आदि के क्षेत्र में तेजी से फ्लिपकार्ट ने कदम बढ़ाए हैं. कंपनी को अमेजन काफी चुनौती पेश करती रही है. अब अमेजन और फ्लिपकार्ट में और अधिक कॉम्पिटिशन बढ़ेगा. इसका लाभ ऑनलाइन शॉपिंग करने में दिलचस्पी रखने वालों को मिल सकता है. कंज्यूमर को सस्ते दामों पर प्रोड्क्ट्स मिल सकते हैं.


वॉलमॉर्ट का तेजी से फैलता कारोबार


अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट भारत में तेजी से अपना कारोबार फैला रही है और देश के नौ राज्यों के 19 शहरों में इसके 21 होलसेल स्टोर खोल चुकी है. वॉलमार्ट इंडिया के चीफ कॉरपोरेट अफेयर्स ऑफिसर रजनीश कुमार के मुताबिक कंपनी ने देश में तकरीबन 40,000 से अधिक लोगों को रोजगार दिया है.