नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियों ने देश के बड़े ई कॉमर्स मार्केटप्लेस जैसे एमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, शॉपक्लू और दूसरों से कुछ प्रोडक्ट्स को बैन करने की गुहार की है. इन प्रोडक्ट्स में सिग्नल बूसटर्स और रिपीटर्स शामिल हैं. इन्हें न बेचने के पीछे टेलीकॉम कंपनियों ने ये कहा है कि 1933 के भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट के तहत ये एक दंडनीय अपराध है.


सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसियशन ऑफ इंडिया (COAI) ने इन डिजिटल कंपनियों को कहा है कि वायरलेस टेलीग्राफी के इस्तेमाल से मोबाइल सर्विस की क्वालिटी पर दिक्कत आती है. COAI ने कहा कि इन बूस्टर्स और रिपीटर्स की खास बात ये है कि ये सिग्नल को और बढ़ा देते हैं जो 800Mhz, 900, 1800, 2100 और 2300Mhz लाइसेंस्ड स्पेक्ट्रम बैंड्स है जो टेलीकॉम ऑपरेटर्स को दिए गए हैं.


इसी को देखते हुए अब COAI जो वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल, जियो का प्रतिनिधित्व करता है. उसने साफ साफ इन ऑनलाइन रिटेलर्स को ये चेतावनी दी है कि वो ऐसे प्रोडक्ट बेचना बिल्कुल बंद कर दें.


COAI के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज़ ने कहा है कि,10 मई 2016 को लिखे गए एक पत्र में ई कॉमर्स कंपनियों को ये साफ निर्देश दिए गए थे कि वो किसी भी तरह के सिग्नल बूस्टर या उससे जुड़े प्रोडक्ट को नहीं बेच सकते. ऐसे वो तभी कर सकते हैं जब उनके पास वेलिड डीलर का लाइसेंस हो यानी की DPL. ऐसा साल 1965 के वायरलेस टेलीग्राफी नियम के तहत कहा गया था.


इसके जवाब में एमेजन के प्रवक्ता ने कहा कि, हम उसी प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन बेचते हैं जिसका हमारे पास लाइसेंस है तो वहीं ये प्रोडक्ट्स अगर भारत में लागू हैं और बेचे जा रहे हैं तभी हम इन प्रोडक्ट्स को यूजर्स के बीच बेचते हैं.