नई दिल्लीः 31 जनवरी बुधवार को दुनिया एक बेहद दिलचस्प खगोलीय घटना की साक्षी बनेगी. आज आसामन में 'सूपर ब्लू ब्लड मून' दिखेगा. 'सुपर मून, ब्लू मून, ब्लड मून' ये तीन बेहद दिलचस्प घटना आज होंगी. भारत में शाम साढ़े छह बजे से चंद्रग्रहण का ये नजारा नजर आएगा. खगोलशास्त्रियों के मुताबिक साल 2018 के बाद अगले 19 साल तक ब्लू ब्लड मून की घटना नहीं होगी. यानि अगर आपने आज ये घटना नहीं देखी तो आपको  साल 2037 का इंतजार करना होगा. लेकिन इन सबसे पहले जानिए कि आखिर इस घटना का नाम 'सुपर ब्लू ब्लड मून' क्यों है. इस दिए नाम के क्या मायने हैं.


'ब्लू ब्लड सुपर मून' शब्द के मायने जानने के लिए सबसे पहले इस नाम के तीनों शब्दों को अलग-अलग करके समझना होगा.


ब्लड मूनः “Blood Moon” यानी चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा का सुर्ख लाला हो जाना. ये एक ऐसी घटना है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच सीधे गुजरता है. इस तरह पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह घेर लेती है और ये चंद्रमा पर एक छतरी की तरह छा जाती है. ऐसा होने के बावजूद सूरज की कुछ रोशनी चंद्रमा पर पड़ती रहती है और इस कारण ये सुर्ख लाल दिखता है. इस घटना को “Blood Moon” कहते हैं.



ब्लू मूनः इस तरह की घटना में पूरा चांद नजर आता है, लेकिन इस दौरान चांद का निचला हिस्सा हल्का नीला हो जाता है. इस कारण इसे ब्लू मून कहते हैं.



सुपर मूनः आज दुनिया में ना सिर्फ फुल मून की घटना होगी बल्कि ये एक सुपर मून घटना होगी. जिसका मतलब है कि आज चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा. इस घटना में चंद्रमा पृथ्वी के ऑर्बिट में गोल चक्कर नहीं लगाएगा लेकिन ये पृथ्वी के एपिलिटिक पाथ (बड़ा सर्कुलर पाथ) को फॉलो करेगा. इस घटना में चांद 14% इसकी सामान्य साइज से बड़ा नजर आएगा साथ ही ये सामान्य से 30% तक ज्यादा चमकदार होगा.