नई दिल्ली: दुनिया अब ई वेस्ट पर भरोसा करने लगी है. जहां प्लास्टिक, पॉलिथीन और ऐसी चीजों को रिसाइकल कर नई चीजों को बनाया जा रहा है. हम आजतक कई रिसाइकल प्रोडक्ट्स देख चुके हैं जो पर्यावरण के साथ हमारे लिए भी काफी लाभदायक रहे हैं. लेकिन क्या आप इस बात पर भरोसा कर सकते हैं कि आज की टेक्नॉलजी की मदद से हम ओलंपिक में मिलने वाले मेडल बना सकते हैं.  यानी को गैजेट, मोबाइल, लैपटॉप को रिसाइकल कर हमे खेलों में मिलने गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल बना सकते हैं.


दरअसल 2020 में जापान में होने वाले टोक्यो ओलंपिक की आयोजन कमेटी ने ई-वेस्ट के निस्तारण के लिए बड़ा फैसला लिया है.रिपोर्ट के मुताबिक 2020 टोक्यो ओलंपिक कमेटी स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य गैजेट्स को रिसाइकल कर ओलंपिक मेडल बनाएगी. यह पहली बार नहीं है कि ओलंपिक में रिसाइकल धातु से पदक बनाए जा रहे हैं. इससे पहले भी 2016 रियो ओलंपिक में रिसाइकल किए गए धातुओं से पदक बनाए गए थे. हालांकि उनमें रिसाइकल किए गए धातु की मात्रा महज 30 फीसदी ही थी. ऐसा पहली बार होगा कि ओलंपिक मेडल पूरी तरह रिसाइकल किए गए धातु से बनाए जाएंगे.


बता दें कि इस जानकारी को टोक्यों ओलंपिक ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डाली है. जहां ये कहा गया है कि लोग अपने पुराने डिवाइस को डोनेट कर सकते हैं. कमेटी ने बताया है कि ओलंपिक पदक बनाने के लिए उसे 2700 किलो कांस्य, 28.4 किलो सोना और 4100 किलो चांदी की जरूरत पड़ेगी. कमेटी के पास अभी तक कुल 48 हजार टन का ई-वेस्ट इकट्ठा हो गया है. जो कि सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल बनाने के लिए काफी है. हालांकि गोल्ड मेडल बनाने के लिए उन्हें और सोने की जरूरत पड़ेगी. कमेटी के पास अभी पर्याप्त समय है, जल्द ही गोल्ड की जरूरत भी पूरी हो जाएगी.


यह योजना 'पुनर्निर्माण ओलंपिक्स' को बनाए रखने के लिए एक प्रतीक का प्रयास है, जो इन खेलों के प्रमुख थीमों में से एक हैं. जापान में टॉच रिले की शुरुआत 26 मार्च को फुकुशिमा से शुरू होगी और यह उद्घाटन समारोह के लिए टोक्यो पहुंचने से पहले 121 दिनों के अंदर सभी 47 प्रान्तों से गुजरेगी.