नई दिल्ली: दो साल के इंतजार के बाद भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी से जुड़ी अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं. ट्राई ने कहा है कि इंटरनेट सेवाएं बिना भेद-भाव के होनी चाहिए. सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को नेट न्यूट्रेलिटी के अहम सिद्धांत पर काय़म रहना चाहिए. ये याद रखना चाहिए कि इंटरनेट एक खुला मंच है. इसके साथ ही ट्राई ने सरकार को इसकी गतिविधियों पर निगरानी के लिए एक संस्था बनाने का सुझाव दिया है.
ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा है कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को नेट न्यूट्रैलिटी के 'मुख्य सिद्धांत' पर कायम रहना चाहिए. यानी 'इंटरनेट एक खुला मंच' ये याद रखना चाहिए और किसी तरह के पक्षपात वाले करार नहीं करना चाहिए.
ट्राई ने कहा है कि इंटरनेट एक्सेस सेवा एक ऐसे सिद्धांत पर चलना चाहिए जो कंटेंट में किसी भी तरह हस्तक्षेप या भेदभाव को रोके. इंटरनेट एक्सेस सेवा प्रदाता ट्रैफिक को देखते हुए उचित जांच-परख कर सकते हैं, बशर्ते कि यह पारदर्शी होना चाहिए.
नियामक ने सिफारिश की है, "दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) को अपने ट्रैफिक मैनेजमेंट प्रैक्टिसेज को घोषित करने की जरूरत होगी, कि इसे कब और कैसे शुकु किया गया और इसका उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ सकता है."
उल्लेखनीय है कि टीएसपी और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) कंपनियों के बीच नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर विवाद रहा है. नियामक इस मुद्दे पर बीते दो सालों से बहस कर रहा था. सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन ए.मैथ्यूज ने कहा कि ट्राई की सिफारिशें उद्योग की ओर से दिए गए सुझावों के मुताबिक हैं.
क्या है नेट न्यूट्रेलिटी?
नेट न्यूट्रलिटी का मतलब है इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की ओर से बिना भेदभाव के सभी वेबसाइट पर जाने की आजादी देना. यानी फोन लगने पर आप जिस तरह किसी भी नंबर पर कॉल कर सकते हैं उसी तरह इंटरनेट प्लान लेने पर किसी भी वेब बेस्ड सर्विस तक पहुंच बिना किसी इंटरनेट डेटा भेदभाव के एक्सेस करना. टेलिकॉम कंपनियां इसे खत्म करना चाहती हैं.