नई दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने नेट न्यूट्रेलिटी के विवादास्पद मुद्दे पर आखिरी परामर्श पत्र जारी करते हुए आम लोगों से राय मांगी है. आपको बता दें कि नेट न्यूट्रेलिटी को लेकर दूरसंचार कंपनियों और इंटरनेट आधारित कंपनियों में विवाद है.


ट्राई ने कहा है,‘ट्राई ने आज नेट न्यूट्रेलिटी पर परामर्श पत्र जारी किया है. परामर्श के इस दूसरे दौर का टारगेट नीति या जरूरी होने पर नियामक के हस्तक्षेप को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ना है.’ इस बारे में सुझाव 15 फरवरी तक और प्रति-सुझाव 28 फरवरी तक दिए जा सकते हैं.


क्या है नेट न्यूट्रेलिटी?


नेट न्यूट्रेलिटी यानी नेट की आजादी. आपके पास मोबाइल है और आपने इसमें इंटरनेट कनेक्शन भी लिया है. अब तक इसके लिए आप टेलिकॉम कंपनी को पैसे देते हैं, पैसे देने के बाद आप व्हाट्सएप, फेसबुक, क्विकर, स्नैपडील, गूगल, यू ट्यूब जैसी ढेरों इंटरनेट सेवाएं इस्तेमाल कर पाते हैं. हर वेब पेज पर स्पीड एक जैसी होती है और हर सेवा के अलग से पैसे नहीं देने पड़ते.


यानी इंटरनेट की आजादी, एक बार इंटरनेट ले लिया तो हर सेवा को एक जैसा दर्जा मिलने की आजादी है. लेकिन अब फेसबुक कुछ कंपनियों के साथ मिल कर इंटरनेट की आजादी को नए तरह से पेश करना चाहता था. जिसमें कुछ सेवाएं मुफ्त हो सकती हैं तो कुछ के लिए पैसे या इंटरनेट पैक देने पड़ेंगे. इतना ही नहीं कुछ सेवाओं के लिए ज्यादा स्पीड तो कुछ के लिए कम स्पीड का अधिकार भी कंपनियां अपने पास रखना चाहती हैं.