UIDAI हेल्पलाइन विवादः जानें अब तक क्या हुआ और वे सवाल जिनका अबतक जवाब नहीं
नई दिल्ली: आधार का हेल्पलाइन नंबर लोगों के फोन में बिना इजाजत सेव होने की वजह अब सामने आ चुकी है. एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम की मालिकाना हक वाली कंपनी गूगल ने इस पर माफी मांगते हुए अपनी गलती बतायी है और कहा है कि यूआईडीएआई के नंबर और अन्य 112 हेल्पलाइन नंबर एंड्रॉयड विजार्ड में सेव है. इस बयान के साथ ये सवाल खत्म हो गया है कि फोन में अन-ऑथराइज एक्सेस किया जा रहा है और यूजर्स की चिंता को देखते हुए गूगल ने ये भी साफ किया है कि इन नंबरों का फोन में सेव होने का कतई ये मतलब नहीं है कि फोन हैक है. विजार्ड एक तरह का सॉफ्टवेयर यूजर इंटरफेज होता है और कंपनी का कहना है कि इसकी कोडिंग में ही इन नंबरों को फोन से जोड़ दिया गया. ऐसे में एंड्रॉयड फोन में ये नंबर खुद-ब-खुद सेव हो रहे हैं.
सवाल जिनके अबतक जवाब नहीं 1. फोन में अचानक हुए सेव हुए इस नंबर पर गूगल ने अपने एंड्रॉयड फोन यूजर्स के सवालों के जवाब तो दे दिए हैं लेकिन अबतक इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि आखिर एपल के ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस में ये नंबर डिफॉल्ट रूप से कैसे सेव हुआ. हालांकि आईओएस पर चलने वाले आईफोन के बेहद कम यूजर्स की फोनबुक में ये नंबर पाया गया है लेकिन जिनके भी फोन में है उन्हें इसके पीछे की वजह अबतक पता नहीं चल सकी है.
2. ज्यादातर एंड्रॉयड फोन में ये ट्रोल फ्री नंबर पाया गया है लेकिन कई ऐसे एंड्रॉयड फोन हैं जिनमें ये नंबर सेव नहीं हुआ. अगर गूगल इसके पीछे एंड्रॉयड विजार्ड सेटअप की कोडिंग की दलील दे रहा है तो सवाल ये भी उठता है कि कुछ एंड्रॉयड फोन में ये नंबर क्यों नहीं सेव हुआ.
3. आधार की मॉनिटरिंग संस्था यूआईडीएआई ने साफ किया है कि लोगों के फोन में नजर आ रहा नया नंबर 18003001947 उनका हेल्पलाइन नंबर नहीं है. आधार के लिए पिछले दो साल से 1947 टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर काम कर रहा है. ऐसे में गूगल से सवाल लाज़मी है कि आखिर उसके विजार्ड कोडिंग में 18003001947 नया नंबर आखिर कहां से आया?
एप या वेबसाइट खोलते हुए बरतें सावधानी कई बार हम अपने डेटा के सात छेड़छाड़ होने के लिए खुद जिम्मेदार होते हैं. इससे बचने का एक ही तरीका है कि फोन के इस्तेमाल को वक्त ये ध्यान रखें कि कहां-कहां एक्सेस की इजाजत देनी है और कहां नहीं. कोई भी एप खोलते वक्त यूजर से कैमरा, गैलरी, लोकेशन, कॉन्टैक्ट लिस्ट तक के एक्सेस की सहमति एप कंपनियां चाहती हैं. बिना वक्त लगाए इसे सहमति देना आपके डेटा की सेंधमारी को दावत देता है.
कोई भी एप जब भी इस्तेमाल करें तो इसका खास ख्याल रखें कि वो आपके सामने किस तरह की शर्त रख रहे हैं, किस तरह के डेटा की एक्सेस चाह रहे हैं. इसके अलावा अगर आप फोन ब्राउजर की मदद से कोई वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कुकीज के जरिए भी वेबसाइट आपके डेटा इकट्ठा करता है.
ये पूरा मामला कहां से शुरु हुआ? शुक्रवार की सुबह हजारों स्मार्टफोन यूजर्स को उस समय झटका लगा जब उन्होंने अपने फोन के कॉन्टैक्ट लिस्ट में आधार अथॉरिटी यूआईडीएआई का टोल फ्री नंबर देखा. यूआईडीएआई का ये टोल फ्री नंबर अचानक कई स्मार्टफोन यूजर्स के फोन में डिफॉल्ट रुप में सेव हो गया. ट्विटर पर यूजर्स ने इस ऑटो सेविंग पर सवाल उठाया है कि आखिर लोगों की कॉन्टैक्ट लिस्ट का एक्सेस UIDAI कैसे कर सकता है?
दरअसल आधार के 1800-300-1947 पुराने टोल फ्री नंबर को 1947 से रिप्लेस कर दिया गया. ये नंबर शुक्रवार सुबह कई हजारों स्मार्टफोन यूजर्स के फोन में अचानक सेव हो गया. इसपर यूजर्स ने अपनी प्राइवेसी को लेकर सवाल उठाने शुरु कर दिए. यूआईडीएआई ने साफ किया कि ये नया नंबर आधार हेल्पलाइन का नहीं है बल्कि अभी भी दो साल पहले उतारा गया हेल्पलाइन नंबर 1947 एक्टिव है.
गूगल ने क्या कहा? आधार की संस्था यूआईडीएआई और टेलीकॉम ऑपरेटर्स एसोसिएसन सीओएआई ने इस विवाद में साफ किया उनकी ओर से ये नंबर लोगों के फोनबुक में सेव नहीं किया गया जिसके बाद सवाल उठने लगे कि क्या देश के फोन यूजर्स पर किसी तरह का साइबर अटैक किया जा रहा है. इन सब के बीच गूगल ने इसकी जिम्मेदारी ली है.
गूगल ने बयान जारी करके कहा, 'हमारे इंटरनल रिव्यू में सामने आया है कि साल 2014 में यूआईडीएआई और अन्य 112 हेल्पलाइन नंबर एंड्रॉयड के सेटअप विजार्ड में कोड कर दिए गए थे. ये नंबर एक बार यूजर की कॉन्टैक्ट लिस्ट में आ जाएं तो डिवाइस बदलने के बाद भी अपने आप नए डिवाइस में आ जाते हैं. '
सौजन्य-Twitterइसके आगे गूगल ने कहा, ''लोगों को इसके कारण हुई परेशानी के लिए हमें खेद है. लोगों को हम आश्वस्त करते हैं कि एंड्रॉयड फोन में किसी भी तरह की अन ऑथराइज्ड एक्सेस नहीं है यानी कोई एंड्रॉयड डिवाइस हैक नहीं हुआ है. इस नंबर को यूजर्स मैनुअली डिलीट कर सकते हैं. हम आने वाले एंड्रॉयड सेटअप विजार्ड से इसे हटाने पर काम करेंगे.
यूआईडीएआई और सीओएआई ने कल किया था इंकार इस पूरे मुद्दे पर मचे बवाल के बीच सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन इंडिया ने शुक्रवार की शाम बयान जारी किया, सीओएआई ने साफ किया कि लोगों के फोनबुक में यूआईडीएआई का एक नंबर जो खुद सेव हो रहा है इससे टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों का कोई लेना-देना नहीं है. किसी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की ओर से यूजर्स के फोन बुक में नंबर सेव नहीं किया जा रहा है.
वहीं, दूसरी ओर यूआईडीएआई ने कई ट्वीट करके कहा कि मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि 1800-300-1947 नंबर लोगों के फोन में बिना उनकी इजाजत सेव हो रहा है. इसे आधार का हेल्पलाइन नंबर बताया जा रहा है. हम साफ करते हैं कि 18003001947 यूआईडीएआई का टोल फ्री नंबर नहीं है. लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.
उन्होंने आगे कहा कि यूआईडीएआई ने किसी भी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को इस तरह के नंबर लोगों को मुहैया कराने के लिए नहीं कहा है. हमारा आधार हेल्पलाइन नंबर 1947 है जो अभी एक्टिव है. यूआईडीएआई एक बार फिर साफ करता है कि हमने किसी भी टेलीकॉम कंपनी या मोबाइल कंपनी को ये निर्देश नहीं दिए कि लोगों के फोन से 1947 नंबर को खुद-ब-खुद 18003001947 से रिप्लेस किया जाए.
गूगल के इस बयान के बाद आधी तस्वीर ही सामने आई है कई सवालों के जवाब अब भी सामने नहीं सके हैं.