नई दिल्ली: शायद यह समय शॉर्ट वीडियो शेयरिंग चीनी एप्स के लिए बेहद रोमांचक समय है, क्योंकि इन्होंने भारत के छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक में यूजर्स के मोबाइल पर कब्जा कर लिया है. टिक टॉक, लाइक, वीगो वीडियो और अन्य ऐसी एप्स की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि हुई है और सरकार के साथ-साथ नागरिकों को परेशान कर दिया है और इसका कारण है इसमें बड़ी संख्या में अनुचित वीडियो बनने लगे हैं.


इन डरावने वीडियो ने अब युवा दिमाग को भ्रष्ट करने के लिए एक बड़ा मोबाइल-आधारित मैसेजिंग माध्यम ढूंढ लिया है, वह है फेसबुक के स्वामित्व वाला वाट्सएप. 30 करोड़ से ज्यादा लोग भारत में वाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं, जो अब ऐसे वीडियो के प्रसार के लिए एक प्रमुख जरिया बन गया है.


चीनी एप्स की मदद से इन छोटे-छोटे वीडियो में अश्लील धुनों पर तंग कपड़े पहने लड़कियों को नाचते हुए देखने के अलावा, इसमें वयस्क चुटकुलों और छोटे शहरों की लड़कियों द्वारा 'मजाकिया' संदेश वाले वीडियो देखे जा रहे हैं.


हालांकि, टेक फर्मो ने आपत्तिजनक सामग्री की जांच करने के लिए टीम बनाने के साथ स्मार्ट एल्गोरिदम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित प्रणालियों का दावा किया है, लेकिन फिर भी यह तेजी से फैल रहा है.


वाट्सएप और टिक टॉक दोनों ही भेजे गए प्रश्नों पर चुप्पी साध गए. टिक टॉक ने एक पुराने बयान भेजा कि "हम भारत में अपने यूजर्स के लिए सुरक्षा सुविधाओं को लगातार बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."


देश के बड़े साइबर कानून विशेषज्ञ और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील पवन दुग्गल के अनुसार, मोबाइल एप्लिकेशन पर अश्लील वीडियो के बड़े पैमाने पर प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका मध्यस्थ दायित्व के मुद्दे का समाधान करना है.


दुग्गल ने कहा, "सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 के अंतर्गत यदि कोई भी ट्रांसमिशन, प्रकाशन या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित कोई भी जानकारी, जो वासनापूर्ण है या उन लोगों के दिमाग को भ्रष्ट कर देती हैं, जो इस मामले को देखने, पढ़ने या सुनने की संभावना रखते हैं या इसमें शामिल होते हैं, तो इसे एक अपराध के रूप में देखा जाएगा."


हालांकि इस मामले में जमानत का प्रावधान है और इसके जरिये अंकुश लगा पाना मुश्लिक है.