How LiDAR System Works: LiDAR, जिसका पूरा नाम "लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग" है, एक ऐसी तकनीक है जो लेजर बीम की सहायता से किसी भी वस्तु की सटीक दूरी और उसकी संरचना का आकलन करती है. इस तकनीक का उपयोग वस्तुओं की पहचान, मैपिंग और उनके 3D मॉडल तैयार करने के लिए किया जाता है. यह तकनीक विशेषकर परिवहन, एरियल सर्वे, स्वायत्त वाहनों और रेलवे में भी इस्तेमाल हो रही है, जिससे सटीकता और सुरक्षा में सुधार होता है.


कैसे काम करता है LiDAR सिस्टम?


LiDAR सिस्टम में लेजर से प्रकाश की किरणें निकलती हैं, जो किसी वस्तु से टकराकर वापस सेंसर तक पहुंचती हैं. इस टकराव और लौटने में जितना समय लगता है, उससे वस्तु की दूरी का पता लगाया जाता है. इस प्रक्रिया के जरिए एक उच्च-रिजोल्यूशन और विस्तृत 3D मैप तैयार किया जा सकता है, जो संरचना के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करता है.


रेलवे में LiDAR का उपयोग और इसके फायदे


भारतीय रेलवे में LiDAR तकनीक का उपयोग ट्रैक सर्वे, इंफ्रास्ट्रक्चर की निगरानी और मैपिंग के लिए किया जा रहा है. इस तकनीक के जरिए रेलवे ट्रैक और उसके आस-पास के इलाके की सटीक जानकारी प्राप्त होती है.


सटीक और विस्तृत मैपिंग


LiDAR की मदद से रेलवे ट्रैक, पुल, सुरंग और अन्य संरचनाओं का विस्तृत 3D नक्शा तैयार किया जा सकता है. इससे निर्माण और रखरखाव के कार्यों में आसानी होती है.


संरचना की निगरानी और रखरखाव


LiDAR तकनीक के माध्यम से रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकता है, जिससे टूट-फूट या किसी अन्य समस्या की पहचान आसानी से की जा सकती है. यह प्रणाली समय पर मरम्मत और रखरखाव को सुनिश्चित करती है.


LiDAR से प्राप्त डेटा के जरिए रेलवे नेटवर्क को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में मदद मिलती है, क्योंकि इससे इलाके का सटीक आकलन होता है और जोखिम वाली जगहों की पहचान की जा सकती है.


इतना ही नहीं यह सिस्टम रेलवे ट्रैक पर खराबी, ऐज, ब्लॉकेज और टूटी पटरीयों की भी जानकारी कंट्रोल रूम तक पहुंचाएगा. इससे रेलवे में होने वाले हादसों पर काबू किया जा सकेगा. वहीं इस तकनीक की मदद से काफी हद तक ट्रेनों को होने वाली दुर्घटनाओं से बचाया जा सकेगा.


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