नई दिल्लीः व्हाट्सएप, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां आसानी से मैसेज, मल्टीमीडिया, वीडियो चैट, डॉक्यूमेंट भेजने जैसे काम किए जाते हैं, लेकिन वर्तमान समय में इस एप का इस्तेमाल किया जा रहा है अफवाहें और अविश्वसनीय खबरें फैलाने के लिए. व्हाट्सएप पर फैल रही झूठी खबरें देश में बढ़ती मॉब-लिंचिंग का कारण बन रही है. रविवार को ही भीड़ ने महाराष्ट्र के धुले में पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. वहीं सोमवार को महाराष्ट्र के ही नासिक में तीन लोगों पर भीड़ ने हमला कर दिया. ये सब हो रहा है एक शक के कारण. शक ये कि कुछ लोग बच्चा चोरी कर रहे हैं. दरअसल महाराष्ट्र, असम सहित कुछ राज्यों में व्हाट्सएप पर एक मैसेज फॉर्वर्ड किया जा रहा है कि कुछ लोग इलाके से बच्चा चोरी कर रहे हैं. ये मैसेज पढ़ने के बाद अपने इलाके में कुछ अजनबी लोगों को बच्चा चोर होने के शक में भीड़ ने पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया. व्हाट्सएप पर झूठी अफवाहें लोगों को हत्यारी भीड़ में तब्दील कर दे रही हैं. एक महीने में 20 जानें अफवाहों ने ले ली है जिनमें बच्चा चोरी की अफ़वाह से गई जानों की संख्या सबसे ज़्यादा है.


ऐसे वक्त में जब व्हाट्सएप अपनी नकारात्मकता के लिए ज्यादा खबरों में है तो जरुर इस ओर चर्चा होनी चाहिए कि क्या ये समाज को जोड़ने वाले एप ने एक भयानक फेक जानकारियों के अड्डे का रुप ले लिया है. आज हम व्हाट्सएप के इस पहलू का जिक्र कर रहे हैं.


व्हाट्सएप की अफवाहों ने लीं अबतक कितनी जानें


अप्रैल
बीबीसी वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु में एक भीड़ ने सड़क पर धूम रहे एक शख्स को बच्चा चोर होने के शक में मार दिया. इस मामले में व्हाट्सएप पर एक ऑडियो मैसेज फैलाया गया था जिसमें बच्चा चोरी की घटना को की बात कही गई थी. इस मामले में गिरफ्तारियां हुई हैं


मई
एक 55 साल की महिला को भीड़ ने बच्चा चोर समझ कर पीट-पीट कर मार डाला. इस महिला ने एक बच्चे को मिठाई दी थी और इसीबात पर भीड़ ने महिला पर बच्चा चोर होने का शक किया ये शक तक ही सीमित नहीं रहा लोगों ने शक में ही जान ले ली. इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तारियां की हैं.


तेलंगाना में एक आदमी को भीड़ ने देर रात आम के बागीचों में घुसने की वजह से मार डाला.


ऐसी ही एक घटना बैंगलोर से सामने आई थी जब एक व्यक्ति को रस्सी से बांध कर भीड़ ने बैट से इतना मारा गया कि उसकी मौत हो गई.


हैदराबाद में एक ट्रांसजेंडर को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला.


जून
असम के कार्बी में दो युवक घूमने आए इस दौरान भीड़ ने दोनों को बच्चा चोर होने के शक में पीट-पीट कर मार डाला. इनके नाम नीलोत्पल दास और अभिजीत नाथ थे. नीलोत्पल पेशे से इंजिनियर तो अभिजीत म्यूजिक आर्टिस्ट थे.

जुलाई
रविवार यानी 1 जुलाई को ही भीड़ ने महाराष्ट्र के धुले में पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
सोमवार यानी 2 जुलाई को महाराष्ट्र के ही नासिक में तीन लोगों पर भीड़ ने हमला कर दिया. हालांकि इनकी जान किसी तरह पुलिस ने बचा ली.


यहां अहम बात ये है कि ये सिर्फ वो आंकड़ें हैं जिनमें किसी तरह की व्हाट्सएप अफवाह ने भीड़ को हत्यारा बनाया. इसके अलावा ऐसे मामलों की लिस्ट लंबी है जब भीड़ ने गौ हत्या के शक में लोगों की जान ली है. दादरी में अखलाक नाम के एक शख्स के घर पर गौमांस के शक में उसे भीड़ में मार डाला और ऐसी कई घटनाएं हैं जो साल 2015 से अब तक हुई हैं.



धुले में हुई मॉब लिंचिंग की तस्वीर

सरकारें क्या कर रही हैं?


महज एक महीने में 20 से 21 हत्याओं के बाद अब केंद्र सरकार जागी है. फेक न्यूज के इस भयानक परिणाम पर अब सरकार कदम उठाएगी. केंद्र सरकार अफवाहों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी बनाएगी. देश के आईटी मंत्रालय को इसका ड्राफ्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है. गृहमंत्रालय सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ जल्द ही बैठक बुलाएगी. इसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधियों के साथ गृहमंत्रालय में बैठक होगी. इसमें विचार होगा कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक और नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट को फैलने से कैसे रोका जाए.


एबीपी न्यूज को गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'आईटी मंत्रालय के अलावा ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक के प्रतिनिधियों को भी इस बैठक में बुलाया जाएगा. जल्द ही सरकार बैठक का एजेंडा और तारीख तय कर उसमें शामिल होने वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के टॉप मैनेजमेंट और आईटी एक्सपर्ट को भी बुलाएगी.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया?
अफवाहों और शक की बुनियाद पर देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं को देखते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने राज्य सरकारों को झाड़ लगाई है. उन्होंने कहा है कि राज्य यह सुनिश्चित करे की इस तरह की घटना न हो. साथ ही सीजेआई ने कहा कि भीड़ की हिंसा के शिकार बने पीड़ित को धर्म या जाति से नहीं जोड़ा जाए. पीड़ित पीड़ित होता है.


व्हाट्सएप ने फेक न्यूज के लिए क्या किया है?
व्हाट्सएप एक ऐसा मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है जहां सेंडर और रिसीवर के बीच की गई बातचीत एनक्रिप्टेड होती है, ऐसे में व्हाट्सएप का मैसेज में सीधा दखल संभव ही नहीं है. फेक मैसेज की समस्या को समझते हुए फिर भी व्हाट्सएप ने कुछ जरुरी कदम उठाए हैं.


हाल ही में व्हाट्सएप ग्रुप में एडमिन के अधिकारों को बढ़ाते हुए कंपनी ने एडमिन को ये अधिकार दिया है कि वह किसी भी ग्रुप मेंबर के मैसेज को रोक सकता है. यानी मेंबर कौन सा मैसेज भेज पाएंगे ये एडमिन तय करेगा. इस फीचर का नाम है Send Message. यह फीचर ग्रुप सेंटिंग में मौजूद है. इस फीचर के जरिए ग्रुप एडमिन यह कंट्रोल कर सकता है कि किस मेंबर को ग्रुप में मैसेज भेजने का अधिकार दिया जाए और किसे नहीं.


ग्रुप व्हाट्सएप पर एक साथ कई लोगों तक जानकारी पहुंचाने का सबसे बढ़िया माध्यम है. ऐसे में सबसे ज्यादा फेक मैसेज ग्रुप में भेजे जाते हैं. जिसतरह से एक के बाद एक फेक जानकारियां हत्याओं में तब्दील हो रही है उसे देखते हुए व्हाट्सएप का ये कदम पर्याप्त तो नहीं है. जरुरत है कि देश में फेक जानकारी फैलाने वाले सोर्स तक पहुंचा जाए और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान हो.


राज्य सरकारें भी अपनी स्तर पर सावधानी बरत कर ऐसी घटनाओं को रोक सकती हैं इसका बेहतरीन उदाहरण जम्मू-कश्मीर में देखने को मिला है. जहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए किश्तवाड़ जिला प्रशासन ने व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन को जिलाधिकारी कार्यालय में 10 दिन के भीतर रजिस्ट्रेशन कराने को कहा है. कड़ा कदम  उठाते हुए  लोगों से यह भी कहा गया है कि वे अधिकारियों को शपथ पत्र देकर कहें कि उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड या फॉर्वर्ड की हुई चीजों  के लिए वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे और इस तरह की चीजों से कानून के  उल्लंघन की स्थिति में कानूनी कार्रवाई का सामना करने के करने के लिए तैयार होंगे.


इस तरह के कदमों से ऐसी घटनाएं रोकी जा सकेंगी, लेकिन इसके लिए प्रशासन और सरकारों को तत्पर होना होगा नहीं तो एक ऐसी एप जिसका मकसद लोगों को रियल टाइम में जोड़ना हो वह देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग का कारण बनकर रह जाएगी.