नई दिल्ली: व्हॉट्सएप के कई सारे यूजर्स के अकाउंट खतरे में है. जी हां कुछ अटैकर्स एक कोड की मदद से इन यूजर्स को टारगेट कर रहे हैं. इस अटैक को इजराइली सिक्योरिटी फर्म NSO ग्रुप ने डेवलप किया है. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का खुलासा किया गया है. अटैक की खबर के बाद सोमवार को व्हॉट्सएप ने 1.5 बिलियन यूजर्स को अपना व्हॉट्सएप अपडेट करने को कहा. अटैक को इसी महीने पकड़ा गया था.


कैसे किया जा रहा है अटैक?


अटैक करने के लिए यूजर्स के वॉयस कॉलिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है जहां डिवाइस को रिंग कर जाल में फंसाया जा रहा है. अगर कॉल को कोई उठाता नहीं है तो सॉफ्टवेयर अपने आप इंस्टॉल हो जाएगा वहीं कॉल अपने आप आपके कॉल लॉग से गायब भी हो जाएगा.


व्हॉट्सएप ने कहा कि इस वायरस को हमने पहचान लिया है और ह्यूमन राइट्स ग्रुप्स से इसकी शिकायत कर दी है. बता दें कि अटैकर्स के पास एक कंपनी का हॉलमार्क भी है जो सरकार के साथ मोबाइल फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम पर स्पायवेयर डालने के लिए काम करती है. फर्म ने सभी सिक्योरिटी स्पेशेलिस्ट को एक एडवाइजरी जारी कर दी है जहां इसे एक गलती बताई गई है.


सॉफ्टेवयर के पीछे किसका हाथ


NSO ग्रुप एक इजराइली कंपनी है जिसे इससे पहले साइबर ऑर्म्स डीलर के नाम से जाना जाता था. कंपनी का फ्लैगशिप सॉफ्टवेयर Pegasus के पास इसकी क्षमता है जिससे वो डिवाइस को टारगेट कर अहम जानकारी निकाल सकता है. इसमें माइक्रोफोन, कैमरा और लोकेशन डेटा शामिल है.


ग्रुप ने अपने बयान में कहा कि उसके पास सरकारी एजेंसी के लाइसेंस का अधिकार है जिसका काम क्राइम और आतंक से लड़ना है.


कंपनी ने कहा वो इस सिस्टम को नहीं चलाती है. वो लोगों की सेफ्टी पर ध्यान देती है अगर ऐसा कुछ आरोप या कुछ साबित होता है वो इसपर कारवाई करेगी वहीं अपना सिस्टम भी शटडाउन कर सकती है. किसी भी हाल में NSO अपने टेक्नॉलजी की मदद से किसी और चीज को टारगेट नहीं करेगी.


किसे किया जा रहा है टारगेट?


व्हॉट्सएप यूजर्स की तादाद पूरी दुनिया में कुल 1.5 बिलियन है. जहां किसी को व्हॉट्सएप कॉल की मदद से टारगेट किया जा सकता है. वहीं कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए इस टूल का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं इसमें कई यूजर्स भी हैं जिन्हें निशाना बनाया जा रहा है.