नई दिल्लीः डेटा सिक्योरिटी के लेकर विवाद में चल रहे फेसबुक के बाद अब व्हाट्सएप की यूजर प्राइवेसी को लेकर शक के दायरे में आ गई है. 200 मिलियन एक्टिव यूजर्स वाली इस एप को लेकर एक्सपर्ट्स का दावा है कि इसके यूजर्स का डेटा उनता सिक्योर नहीं है जितना इसे लेकर दावा किया जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक व्हाट्सएप की कुछ शर्तें ऐसी हैं जिसे चैलेंज नहीं किया जा सकता और इनसे यूजर्स के डेटा को खतरा है.


इस डेटा सिक्योरिटी की खबर के बीच व्हाट्सएप ने अपना बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा है कि यूजर्स की सिक्योरिटी हमारे लिए सबसे जरुरी है. यूजर्स की चैट व्हाट्सएप पर एंड-टू-एंड एनक्रीप्टेड होती है. व्हाट्सएप डेटा की बेहद छोटी सी इंफॉर्मेशन अपने पास रखता है.


व्हाट्सएप ने आगे कहा,' ये सच है कि ग्रुप में लिंक के जरिए इनवाअट का फीचर था, लेकिन इसमें भी यूजर्स को भरोसे को ध्यान में रखा गया. ग्रुप में जब भी कोई नया मेंबर आता है तो सभी ग्रुप मेंबर को एक नोटिफिकेशन जाती है साथ ही पता चलता है कि मेंबर को लिंक के जरिए जोड़ा गया है या एडमिन ने जोड़ा है. मेंबर नए सदस्य का कॉनेटेक्ट नंबर और नाम भफी जान सकते हैं. अगर एडमिनट चाहे तो ऐसे में मेंबर को ग्रुप से निकाल सकता है.'



व्हाट्सएप फेसबुक ओन्ड कंपनी है. साल 2014 में फेसबुक ने व्हाट्सएप को खरीदा. इससे पहले भी व्हाट्सएप फेसबुक से अपनी नंबर शेयरिंग पॉलिसी को लेकर विवाद में रह चुका है.


आपको बता दें कि इन दिनों फेसबुक अपने सबसे बुरे दौर में हैं. फेसबुक पर अपने यूजर्स के डेटा को सुरक्षित ना रख पाने का आरोप है. पॉलिटिकल कंसल्टेंसी फर्म कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक यूजर्स का डेटा चोरी कर साल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने का आरोप है.


मुझे दूसरा मौका दें-जकरबर्ग


डेटा लीक और यूजर्स का प्राइवेसी को लेकर परेशानियों में घिरे फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कंपनी के ऑपरेशन के मामले में एक और मौका दिये जाने की मांग की. उन्होंने यह भी माना है कि कंपनी ने अपने यूजर्स की सूचना तीसरे पक्ष के साथ साझा कर गलती की है. उन्होंने कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘ मुझे एक और मौका दीजिए.’’ उनसे यह पूछा गया था कि क्या उन्हें लगता है कि वे अब भी कंपनी की अगुवाई के लिये बेहतर व्यक्ति हैं. उन्होंने जवाब में कहा हां.


5.6 लाख भारतीय यूजर्स का डेटा लीक


फेसबुक ने कबूल किया है कि करीब 5.6 लाख भारतीय यूजर्स का डेटा ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषक कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ गलत तरीके से साझा किया गया है. कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ यूजर्स के साझा किए डेटा में ज्यादातर अमेरिकी यूजर्स शामिल हैं, जिनकी संख्या 7 करोड़ से ज्यादा है. कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ 562,455 भारतीय यूजर्स का डेटा भी साझा किया गया है.