नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 की शुरूआत हो चुकी है. सभी नेता अपनी अपनी राजनीतिक पार्टियों का जमकर प्रचार कर रहे हैं. तो वहीं अब वो समय भी आ चुका है जब ये नेता वोट की खातिर मतदाताओं के घर-घर दस्तक दे रहे हैं. इन सबके बीच कई वोटर्स ऐसे हैं जो नेताओं के किए गए प्रचार और चुनावी वादों को देखकर वोट दे देते हैं तो वहीं कई वोटर्स ऐसे हैं जिन्हें पता है कि नेता आखिर उनके दरवाजे पर क्यों आए हैं. लेकिन कुछ वोटर्स ऐसे भी हैं जो अपने नेताओं के मन की बात नहीं जान पाते.  लेकिन क्या आपको पता है कि आपका नेता आपके बारे में सबकुछ जानता है.


चुनाव के दौरान आपने कई ऐसे वीडियो देखें होंगे जो राजनीति से जुड़े होंगे और अक्सर जब आप किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं तो ये वीडियो आपके सामने पॉप होते हैं. वहीं कई पोल्स के बारे में भी आप पढ़ते होंगे. चुनाव और नेता से जुड़े विज्ञापन भी आप रोजाना देखते होंगे. साथ में अगर आप इस दौरान ये जानना चाहते हैं कि क्या ट्रेंड कर रहा है तो उसका भी एक ट्रेंड सेट है.


चुनावी विज्ञापन में फिल्मी लाइनों का इस्तेमाल


चुनाव का समय चल रहा है लेकिन कई बार आपने ये भी देखा होगा कि कई नेता फिल्मों के डायलॉग और उसी से जुड़ी दूसरी चीजों का सहारा लेते हैं. जैसे हाल ही में आई गली ब्वॉय का पंच लाइन जो काफी मशहूर हुआ था. अब उसका इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियां और नेता भी कर रहे हैं. लाइन है '' अपना टाइम आएगा''. बता दें कि देश में सबसे बड़े राजनीतिक वीडियो के उपभोक्ता पश्चिम बंगाल के हैं.


कई नेता और भी कई तरह की चीजों का इस्तेमाल करते हैं. जैसे बंगाल के नागरिकों का वोट लेना है तो कुछ खाने से जुड़ा हुआ प्रचार करना होगा. क्योंकि बंगालियों के दिल का रास्ता खाने से होकर गुजरता है. वहीं उनके व्हॉट्सएप पर भी वीडियो भेजने होंगे जो वायरल हो और ग्रुप के एडमिन्स उन वीडियो का भरपूर तरीके से इस्तेमाल कर सकें.


90 करोड़ वोटर्स में से 54 करोड़ मोबाइल यूजर्स है


नेता एप के फाउंडर प्रथम मित्तल ने कहा कि भारत के 90 करोड़ वोटर्स में से 54 करोड़ यूनिक मोबाइल फोन यूजर है जिनके पास फेसबुक और व्हॉट्सएप का अकाउंट है. इस रिपोर्ट का खुलासा McKinsey ने किया है. जहां ये कहा गया है कि भारत के 30 प्रतिशत वोटर इस चुनाव में सोशल मीडिया के इस्तेमाल से प्रभावित होंगे.


लोकसभा चुनाव 2019 भारत के लिए भले ही कोई नया चुनाव न हो लेकिन इस चुनाव में डेटा, एल्गॉरिदम, एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खेल एक अलग तरह से खेला जा रहा है. ये डेटा हर तरफ फैले हुए हैं. आपके बारे में जानकारी ले रहे हैं तो वहीं हर समय आपको ट्रैक भी कर रहे हैं कि आप क्या कर रहे हैं, आपकी पसंद क्या है , आपके मन में कौन सा नेता है. सीधे शब्दों में कहें तो इस चुनाव के लिए ये डेटा किसी सोने से कम नहीं है.


डेटा की मदद से पोल पिच तैयार करना


राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां बड़े डेटा पर काम कर रही है जिससे आपके चुनावी क्षेत्र में घर और बूथ लेवल प्रोफाइल के बारे में पता लगाया जा सके. इस डेटा में पहली बार वोट करने वाले, हर बार नया वोट डालने वाले, डेमोग्राफिक, जाति, सामाजिक आर्थिक सेगमेंट जैसी चीजें शामिल हैं. इन डेटा की मदद से एक नेता को चुनने और चुनाव लड़ने में काफी फायदा होता है.


कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों को हर चुनावी क्षेत्र के लिए डेटा डॉकेट दिया हुआ है. कांग्रेस डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट के चेयरमैन प्रवीण चक्रबर्ती ने कहा कि, '' डॉकेट में घर, नए वोटर्स, मिसिंग वोटर्स, क्षेत्रीय मुद्दों के बारे में सारी जानकारी मौजूद होती है. हम किसी एक लीडर के मैसेज को टेक्नॉलजी की मदद से फैलाने की बजाय अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को डेटा और टेक्नॉलजी की मदद से और मजबूत करते हैं. ये कार्यकर्ता उन मैसेज को वोटर्स तक पहुंचाते हैं. इसके बाद पार्टी ग्राउंड एक्टिविटी पर घर- घर कांग्रेस एप की मदद से ट्रैक करती है.


लेकिन वहीं अगर बीजेपी की बात करें ये डेटा काफी बड़ा हो जाता है. पार्टी साल 2014 से एनालिटिक्स और डिजिटल मीडियम का इस्तेमाल कर रही है. लेकिन जो बात आज की टेक्नॉलजी में है ऐसा साल 2014 में नहीं था.