Misinformation Combat Alliance proposal: फेक खबरों का चलन सोशल मीडिया की वजह से तेजी से बढ़ा है. आज हर किसी के पास स्मार्टफोन है और वो कुछ न कुछ हर मिनट सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहा है. अच्छी बातें कम लेकिन अफवाहें या गलत तरह की खबरें सोशल मीडिया से तेजी से फैलती है और पर इससे समाज, शहर या राज्य का माहौल तेजी से खराब होता है. खबरों पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया की जानी मानी कंपनी मेटा और गूगल ने सरकार को एक प्रपोजल भेजा है जिसमें कंपनियों ने सरकार से ये कहा है कि वे एक फैक्ट चेकर का नेटवर्क बनाना चाहती है जो प्लेटफार्म पर फैल रहे फेंक कंटेंट पर नजर रखेगी. कंपनियों ने इस नेटवर्क को 'इंफॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस' नाम से फाइल किया है जिसमें सोशल मीडिया की तमाम बड़ी कंपनियां होंगी. आईटी मिनिस्ट्री को भेजे गए इस प्रपोजल में ये कहा गया है कि ये अलायंस एक तरह से सर्टिफिकेशन बॉडी की तरह काम करेगा और फिर खबरों पर नजर बनाएगा और उन्हें फैलने से रोकेगा. इस यूनिट को विषेशकर इसलिए बनाया जा रहा है ताकि सरकार के खिलाफ जो भी सोशल मीडिया पर गलत तरह की खबरें या अफवाह फैलाई जाती है उसे रोका जा सके और माहौल बिगड़ने से रोका जाएं.
इस प्रपोजल के आने के बाद आईटी मिनिस्ट्री ने बृहस्पतिवार को एक नया नोटिस जारी कर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी रूल 2021 में अमेंडमेंट किया है जिसमें ये कहा गया है कि एक नई फैक्ट चेकिंग टीम सरकार के खिलाफ गलत तरह की खबरों को फैलने से रोकने के लिए बनाई जाएगी. प्रपोजल के तहत देश और विदेश दोनों के लिए अलग-अलग टीमें बनाई जाएंगी जो अलग-अलग तरह से खबरों पर नजर रखेंगी.
फिलहाल ऐसे चेक की जाती है फेक खबरें
मेटा फिलहाल फैक्ट चेकर (fact-checkers ) के साथ काम करके फेक खबरों को फैलने से रोकता है. फैक्ट चेकर इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क से सर्टिफाइड है जिसकी स्थापना 2015 में हुई थी. इस टीम के मेंबर खबरों की एक्यूरेसी और उसकी सटीकता को पहले जांचते हैं और फिर उस विषय में जानकारी शेयर करते हैं. ये एक US बेस्ड नेटवर्क है. लेकिन भारत सरकार नहीं चाहती कि वो किसी दूसरे नेटवर्क पर भरोसा करें इसलिए सरकार एक खुद का होम नेटवर्क बनाना चाहती है.
बता दें, भारत में मिस इनफार्मेशन एक बड़ी समस्या है जिसकी वजह से कई बार माहौल बेहद तनावपूर्ण हो जाता है. भारत में फेसबुक, वॉट्सऐप, यूट्यूब आदि का इस्तेमाल खूब किया जाता है. ऐसे में फैक्ट चेक यूनिट का होना एक तरह से जरूरी है क्योंकि ये कई मायनों में सरकार, आम नागरिको के काम आ सकता है. Sage’s इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाइब्रेरी एसोसिएशन एंड इंस्टिट्यूशन जनरल 2021 में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के दौरान भारत में सोशल मीडिया के जरिए सबसे ज्यादा मिस इनफार्मेशन कम्युनिकेट की गई. इसकी वजह सोशल मीडिया का बढ़ता कंजम्पशन और लोगों का पढ़ा-लिखा और जागरूक न होना है.
यह भी पढ़ें: 2 कैमरा, 5000Mah की बैटरी और 7GB तक के रैम सपोर्ट के साथ लॉन्च हुआ Poco C51, कीमत सिर्फ इतनी