Google : गूगल हमेशा से अपनी गजब-अजब बातों के लिए मशहूर रहा है. कभी अपने वर्क कल्चर तो कभी आपने कर्मचारियों की परेशानी के समाधान को लेकर. अब गूगल ने एक ऐसे स्टूडेंट को सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी दी है जिसे 18 में से 16 कॉलेज ने रिजेक्ट कर दिया. जिसके बाद गूगल को लेकर चारों ओर चर्चा जोरों पर है. आइए जानते हैं इस स्टूडेंट के बारे में... 


क्या है पूरा मामला ? 


अमेरिका के पालो अल्टो में रहने वाले स्टेनली झोंग ने एमआईटी और स्टैनफोर्ड जैसे संस्थानों में अंडरग्रेजुएट स्कूल में एडमिशन के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे इन संस्थाओं में एडमिशन नहीं मिला. जबकि स्टेनली झोंगा ने एडमिशन के लिए जरूरी स्कोलास्टिक असेसमेंट टेस्ट (SET) भी दिया था, जिसमें उसके 1600 में से 1590 मार्क्स आए. इस सबके बावजूद स्टेनली झोंग को 18 में से 16 कॉलेज ने रिजेक्ट कर दिया.


हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान उन्होंने अपनी एक ई-साइनिंग स्टार्टअप रैबिटसाइन भी बनाई.  एबीसी7 को उन्होंने बताया, 'हां कुछ कॉलेजों का रिजेक्शन निश्चित रूप से अपेक्षित था. आप जानते हैं कि स्टैनफोर्ड, एमआईटी क्या चीज है. कुछ स्टेट स्कूलों के बारे में मैंने सोचा था, मेरे पास मौका था, उसमें से कुछ में मैं प्रवेश नहीं ले पाया.'


लेकिन कई बार रिजेक्ट किए जाने के बाद स्टेनली झोंग को गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की फुल टाइम जॉब मिल गई है. उन्होंने इस सप्ताह से माउंटेन व्यू,कैलिफोर्निंया हेडक्वार्टर में अपनी नई जॉब शुरू की. स्टेनली झोंग को सिर्फ टेक्सास यूनिवर्सिटी और मेरीलैंड यूनिवर्सिटी में ही दाखिला मिल रहा था. नौकरी पाने के लिए स्टेनली झोंग को टेक्सास यूनिवर्सिटी में अपना एडमिशन रद्द करना पड़ा. इस पूरे वाक्ये के बाद अब स्टेनली झोंग गूगल के लिए  काम करेंगे. ऐसे में गूगल ने एकबार फिर दिखा दिया कि, नौकरी पाने के लिए काबिलियत जरूरी है, न कि डिग्री. 


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