सरकारी संस्थान-मोबाइल कंपनियां सार्वजनिक कर रहे पर्सनल डेटा!, पब्लिक डोमेन में है आपका आधार-पैन: सर्वे
एक सर्वे में 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका आधार-पैन की डिटेल (Aadhaar-PAN) सार्वजनिक हो गए हैं.
डिजिटल जमाने में आप अपनी कई सारी जानकारियां ऑनलाइन रखते हैं. इसमें पर्सनल डेटा (personal data), फाइनेंशियल डिटेल शामिल हैं. लेकिन हाल में हुए एक सर्वे से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. लोगों के कई तरह के पर्सनल डेटा पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं. यहां तक कि लोगों के आधार और पैन डिटेल भी सार्वजनिक हो रखें हैं. लोकल सर्किल्स की तरफ से किए गए एक सर्वे में 50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका आधार-पैन की डिटेल (Aadhaar-PAN) सार्वजनिक हो गए हैं. इसी तरह, 72 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका पसर्नल डेटा पब्लिक डोमेन में हैं.
इन संस्थानों को बताया गया जिम्मेदार
खबर के मुताबिक, जिनके डेटा में सेंध (personal data leak) लगी है, उनमें से 81% राज्य/स्थानीय सरकारी कार्यालयों (आरटीओ) में हैं. इसके अलावा नगर पालिका, अस्पताल, पीडीएस, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन आदि इसके लिए जिम्मेदार हैं. 75% लोग टेलीकॉम कंपनियों को जिम्मेदार मानते हैं जबकि 69% बैंक और वित्तीय सेवा प्रदाताओं को जिम्मेदार मानते हैं. इनमें से 56% लोग मानते हैं कि केंद्र सरकार के कार्यालय/डेटाबेस/कर्मचारी (ईपीएफ, पासपोर्ट, कोविन, आरोग्य सेतु, आधार, व्हीकल ओनरशिप आदि इसके लिए जिम्मेदार हैं.
कोविन पोर्टल से भी डेटा लीक
डेटा लीक का हाल में एक चौंकाने वाला मामला आया जब सरकार के कोविड टीकाकरण डेटा लीक (personal data in Public domain) का मामला सामने आया. कोविन पोर्टल पर रजिस्टर ये डेटा टेलीग्राम ऐप पर निःशुल्क उपलब्ध थे. इसमें हालांकि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इंडियन कंप्यूटर को हालांकि इस बारे में निर्देश तो जारी किया लेकिन कमतर करने की कोशिश की है. लोकल सर्किल्स के सर्वेक्षण में पूछा गया कि आपकी कौन-सी निजी जानकारी पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में है या मौजूद डेटाबेस कहां से लीक हुआ है?
सबसे ज्यादा मोबाइल नंबर हुए लीक
सर्वे के मुताबिक निजी जानकारी जो लीक हुई है उनमें 72% ने मोबाइल नंबर, 63% ने ईमेल एड्रेस, 53% ने आधार नंबर शो किया. सर्वे में कुल 11,839 प्रतिक्रियाएं मिलीं जिनमें से मुश्किल से 9% लोगों ने ही कहा कि उनका कोई भी पर्सनल़ डेटा लीक नहीं हुआ है या सार्वजनिक डोमेन में नहीं है. अगस्त 2022 में, सरकार ने संसद को बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 6,861 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई. इसमें इस बात की चर्चा हुई कि एक बेहतर और मजबूत डेटा संरक्षण कानून (digital personal data protection bill) की तत्काल आवश्यकता है जो व्यक्तिगत गोपनीयता को बेहतर सुनिश्चित कर सके.